इस साल धान खरीद अबतक नौ प्रतिशत बढ़कर 306 लाख टन पर

इस साल धान खरीद अबतक नौ प्रतिशत बढ़कर 306 लाख टन पर

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  • Publish Date - November 28, 2022 / 05:43 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:28 PM IST

नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) केंद्रीय पूल के लिए सरकार की धान खरीद मौजूदा खरीफ विपणन सत्र 2022-23 में अब तक नौ प्रतिशत बढ़कर 306.06 लाख टन हो गई है। खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना से अधिक मात्रा में धान खरीदा गया है।

आमतौर पर धान की खरीद अक्टूबर से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के बाद शुरू होती है। हालांकि, दक्षिणी राज्यों में, विशेषकर केरल और तमिलनाडु में यह काम सितंबर से शुरू होता है।

सरकार का लक्ष्य खरीफ विपणन सत्र 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) में 775.72 लाख टन धान खरीद का है। पिछले खरीफ विपणन सत्र में वास्तविक खरीद रिकॉर्ड 759.32 लाख टन हुई थी।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खरीफ विपणन सत्र 2022-23 में 27 नवंबर तक कुल धान खरीद बढ़कर 306.06 लाख टन हो गई है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 280.51 लाख टन थी।

पंजाब में धान की खरीद इस विपणन वर्ष में अबतक 2.76 प्रतिशत घटकर 181.62 लाख टन रह गई है, जो कि साल भर पहले की इसी अवधि में 186.79 लाख टन थी। हरियाणा में धान की खरीद 8.18 प्रतिशत बढ़कर 58.96 लाख हो गई है जो पिछले साल इस दौरान 54.50 लाख टन रही थी।

आंकड़ों से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में इस साल अबतक 16.88 लाख टन धान खरीदा जा चुका है, जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान धान की खरीद शुरू भी नहीं हुई थी।

तेलंगाना में धान की खरीद इस साल अबतक 16.18 लाख टन रही है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 10.94 लाख टन थी। इसी तरह उत्तर प्रदेश में उक्त अवधि में धान की खरीद पहले के 9.20 लाख टन से बढ़कर 10.28 लाख टन हो गई है।

धान की खरीद सरकारी स्वामित्व वाले भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और निजी एजेंसियों दोनों द्वारा की जाती है। किसानों से सीधे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की जाती है और कई कल्याणकारी योजनाओं के तहत मांग को पूरा करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।

धान खरीफ (गर्मी) और रबी (सर्दियों) दोनों मौसमों में उगाया जाता है। लेकिन देश के कुल धान उत्पादन का 80 प्रतिशत हिस्सा खरीफ सत्र से आता है।

कृषि मंत्रालय के पहले अनुमान के अनुसार, देश का धान उत्पादन खरीफ सत्र 2022-23 में छह प्रतिशत घटकर 10 करोड़ 49.9 लाख टन रहने का अनुमान है, जिसका मुख्य कारण उत्पादक राज्यों विशेषकर झारखंड में कमजोर बारिश के मद्देनजर धान के रकबे का कम होना है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय