प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को डिजिटल बनाने की तैयारी

प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को डिजिटल बनाने की तैयारी

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  • Publish Date - October 21, 2021 / 09:29 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:30 PM IST

नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय देश भर में फैली 97,000 से अधिक प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसी) के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के लिए एक नई केंद्रीय योजना पर काम कर रहा है। इस काम के लिए अगले पांच वर्षों में लगभग 2,000-3000 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय का अनुमान है।

प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ (पीएसी) को आमतौर पर कृषि-सहकारी ऋण समितियों के रूप में जाना जाता है। ये सहकारी सिद्धांतों पर आधारित गाँव-स्तरीय ऋण देने वाली संस्थाएँ हैं। वे ग्रामीण लोगों को उनकी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लघु और मध्यम अवधि के ऋण प्रदान करती हैं।

देश भर में लगभग 97,961 पीएसी हैं, जिनमें से लाभप्रद पीएसी, लगभग 65,000 हैं।

सहकारिता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हम पीएसी को कम्प्यूटरीकृत करने के लिए एक केंद्रीय योजना पर काम कर रहे हैं। इसका उद्देश्य पंचायत स्तर के पीएसी को मुख्यालय तक निर्बाध रूप से जोड़ना है।’’

उन्होंने कहा कि पीएसी के डिजिटलीकरण के बाद, बैंकिंग प्रक्रियाएं सुचारू हो जाएंगी और अंकेक्षण में लाभ होगा। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करेगा कि कृषि ऋण का लाभ जरुरतमंदों तक पहुंचे क्योंकि कुछ राज्यों में कृषि ऋण अभी भी पीएसी के माध्यम से वितरित किया जाता है।

अधिकारी ने कहा कि यह एक ‘‘भविष्योन्मुख योजना’’ होगी। यह कम्प्यूटरीकरण पीएसी को गोदामों की स्थापना जैसे नए व्यवसाय शुरु करने में भी सक्षम बनायेगी।

उन्होंने कहा कि चूंकि पीएसी राज्य सरकार के दायरे में हैं, इसलिए यह योजना पांच साल के लिए 60:40 अनुपात के आधार पर होगी, और कहा कि कुल बजट 2,000-3,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।

वर्ष 2017 में, सरकार ने 1950 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ पीएसी को कम्प्यूटरीकृत करने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी नहीं मिल सकी।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण