राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद अयोध्या में प्रॉपर्टी के दाम हुए दोगुने, जानिए क्या ​है प्रति स्क्वॉयर ​फीट भाव

राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद अयोध्या में प्रॉपर्टी के दाम हुए दोगुने, जानिए क्या ​है प्रति स्क्वॉयर ​फीट भाव

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  • Publish Date - September 27, 2020 / 12:41 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:51 PM IST

अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह के बाद अचल संपत्ति की कीमतें दोगुनी हो गई हैं और इस पवित्र शहर में अधिक से अधिक लोग प्रॉपर्टी खरीदना चाह रहे हैं।

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पिछले साल उच्चतम न्यायालय द्वारा हिंदू श्रद्धालुओं की मान्यता के अनुसार रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने के बाद ही जिले में प्रॉपर्टी के दाम बढ़ने लगे थे। और इस साल अगस्त में भूमि पूजन के बाद कीमतों तेजी से बढ़ने लगी हैं। शहर में प्रापर्टी संबंधी गतिविधियों से जुड़े लोगों ने बताया कि जमीन का बड़ा हिस्सा सरकार ने विकास कार्यों के लिए अधिग्रहित कर लिया है, ऐसे में रियल एस्टेट की सीमित उपलब्धता ही है।

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जानकारों ने बताया कि पिछले साल नवंबर में उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद प्रॉपर्टी की कीमतें 30-40 प्रतिशत बढ़ गईं थीं और इस साल पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भूमि पूजन करने के बाद से कीमतें दोगुनी हो गई हैं। पिछले साल से अयोध्या में संपत्ति की कीमतों में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल अयोध्या के बाहरी इलाके में 400-500 रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से उपलब्ध संपत्ति अब 1000-1500 रुपये तक में मिल रही है।

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अयोध्या के बीच में जमीन की उपलब्धता सीमित है और उसकी कीमत 2,000 रुपये से 3,000 रुपये प्रति वर्ग फुट के बीच है। अयोध्या में अवध विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विनोद कुमार श्रीवास्तव ने पीटीआई-भाषा को बताया कि संपत्ति की दरें आसमान छू रही हैं और कई बड़े व्यापारी से लेकर आम लोग अयोध्या में एक जमीन खरीदना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी पूछताछ अधिक है, लेकिन वास्तविक खरीद उतनी नहीं है, क्योंकि लोग चाहते हैं कि सरकार पहले अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को अंतिम रूप दे दे।

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श्रीवास्तव ने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने पहले ही जिले के कुछ हिस्सों में भूमि के पंजीकरण पर रोक लगा दी है और अयोध्या में विवादित संपत्तियों की एक बड़ी संख्या है। इसके अलावा एजेंट जिन जमीनों को बेच रहे हैं, उनमें से बहुत सी जमीन वेटलैंड हैं और वहां किसी भी निर्माण के लिए पर्यावरणीय मंजूरी जरूर होगी।

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