आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने संस्थाओं को ‘‘लापरवाह वित्तीयकरण’’ के प्रति किया आगाह

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने संस्थाओं को ‘‘लापरवाह वित्तीयकरण’’ के प्रति किया आगाह

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  • Publish Date - February 21, 2025 / 01:15 PM IST,
    Updated On - February 21, 2025 / 01:15 PM IST

मुंबई, 21 फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने वित्तीय क्षेत्र की संस्थाओं को लापरवाही भरे वित्तीय लेनदेन के प्रति शुक्रवार को आगाह किया।

यहां एनएसई के एक कार्यक्रम में राव ने कहा कि अल्पकालिक लाभ का ‘‘प्रलोभन’’ आसानी से लोगों की दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें लापरवाही भरे वित्तीयकरण के जोखिम के बारे में अवश्य ही सचेत रहना चाहिए।’’

राव ने बताया कि असुरक्षित क्षेत्र में अत्यधिक उधारी और पूंजी बाजार में ‘‘उत्पन्न उत्साह’’ को लेकर चिंताएं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ वित्तीय संस्थाओं का यह कर्तव्य है कि वे सुनिश्चित करें कि ग्राहक ‘लीवरेज्ड’ उत्पादों और प्रत्याक्षित निवेश से जुड़े जोखिमों को पूरी तरह समझें।’’

राव ने कहा कि आरबीआई ग्राहकों को शिक्षित करने के लिए अन्य वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के साथ काम कर रहा है और उन्होंने कहा कि वित्तीय साक्षरता की कमी के कारण लोग बेईमान कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं।

हालांकि, जब कोई झटका लगता है, तो निवेशक का वित्तीय प्रणाली पर से भरोसा खत्म हो जाता है और इसलिए यह आवश्यक है कि प्रणाली अपनी बेहतरी के लिए शिक्षा में निवेश करे।

गवर्नर संजय मल्होत्रा के नियम बनाते समय विनियमन की लागत पर ध्यान देने के आश्वासन के कुछ दिन बाद राव ने कहा कि तेज गति वाली दुनिया में वित्तीय विनियमन एक नाजुक संतुलनकारी कार्य है।

राव ने कहा, ‘‘ …अत्यधिक विनियमन से प्रणालीगत जोखिम बढ़ सकता है, जबकि नवाचार बाधित हो सकता है, ऋण उपलब्धता सीमित हो सकती है तथा लागत बढ़ सकती है।’’

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा