आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.5 प्रतिशत किया

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.5 प्रतिशत किया

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  • Publish Date - April 9, 2025 / 12:01 PM IST,
    Updated On - April 9, 2025 / 12:01 PM IST

मुंबई, नौ अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वैश्विक व्यापार और नीतिगत अनिश्चितताओं की वजह से चालू वित्त वर्ष (2025-26) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है।

गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​​​ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि जलाशयों की बेहतर स्थिति और 2025-26 में फसल उत्पादन अच्छा रहने के अनुमान से कृषि क्षेत्र की संभावनाएं उज्ज्वल बनी हुई हैं।

उन्होंने कहा कि विनिर्माण गतिविधियों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं और कारोबारी उम्मीदें मजबूत बनी हुई हैं, जबकि सेवा क्षेत्र की गतिविधियां भी जुझारू क्षमता का प्रदर्शन कर रही हैं।

मल्होत्रा ने कहा कि निवेश गतिविधियों में तेजी आई है और उच्च क्षमता उपयोग, सरकार के बुनियादी ढांचे पर खर्च को लेकर जोर, बैंकों और कंपनियों के बेहतर बही-खाते और वित्तीय स्थितियों में सुधार के कारण आगे निवेश और बढ़ने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण वस्तुओं के निर्यात पर दबाव पड़ेगा, जबकि सेवाओं का निर्यात मजबूत रहने की उम्मीद है। हालांकि, वैश्विक व्यापार व्यवधानों से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियां इसके नीचे की ओर जाने का जोखिम पैदा कर सकती हैं।’’

गवर्नर ने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अब 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था के 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

उन्होंने कहा, ‘‘इन आधारभूत अनुमानों के बीच जोखिम समान रूप से संतुलित है। वैश्विक अस्थिरता में हाल ही में हुई वृद्धि के मद्देनजर अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। हमने जीडीपी वृद्धि दर के फरवरी में लगाए गए 6.7 प्रतिशत के अनुमान में 0.2 प्रतिशत की कमी की है।’’

उन्होंने कहा कि जीडीपी वृद्धि के अनुमान में यह कमी वैश्विक व्यापार और नीतिगत अनिश्चितताओं की वजह से की गई है।

भाषा अजय अजय रमण

रमण