डॉलर के आगे रुपया पस्त, पार गया 80 रुपए को, जानें आप पर क्या होगा सीधा असर

साल 2022 के शुरुआत में रुपया एक डॉलर पर 74 रुपये के करीब चल रहा था पर सात महीने के अंदर ही रुपये में जबरदस्त गिरावट हुई और यह अब तक के अपने न्यूनतम स्तर पर है।

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  • Publish Date - July 21, 2022 / 03:54 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:29 PM IST

नई दिल्ली। रुपया लगातार अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले कमजोर होता ही जा रहा है। मंगलवार को रुपया बाजार खुलने के बाद पहली बार 80.05 रुपया प्रति डॉलर के साथ अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। साल 2022 के शुरुआत में रुपया एक डॉलर पर 74 रुपये के करीब चल रहा था पर सात महीने के अंदर ही रुपये में जबरदस्त गिरावट हुई और यह अब तक के अपने न्यूनतम स्तर पर है।〈 >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<

आयात की लागत में होगी बढ़ोतरी

किसी देश की करेंसी कमजोर होने का मतलब है कि उसके लिए विदेशों से वस्तुओं का आयात महंगा होगा क्योंकि अब उसे पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। जैसे कि मान लीजिए कि आप इस साल जनवरी में विदेश से आ रहे किसी उत्पाद पर 1 डॉलर के बदले में 74 रुपये चुका रहे थे, तो अब आपको उसी प्रॉडक्ट पर 80 रुपये देने होंगे। रुपये की कीमत अभी और गिरने की आशंका जताई जा रही है, ऐसे में हो सकता है कि विदेशी वस्तुओं को खरीदना और महंगा हो।

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ईंधन-ऊर्जा भी होगी महंगी

भारत अपनी तेल की कुल जरूरतों का लगभग 80 फीसदी हिस्सा आयात करता है। रुपया कमजोर होगा तो इसका असर विदेशों से आयातित किए जा रहे तेल और ऊर्जा उत्पादों पर भी पड़ेगा। इससे देश में घरेलू बाजार में उपभोक्ताओं के लिए तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि तेल रिफाइनरी और तेल विपणन कंपनियां अतिरिक्त भार को उपभोक्ताओं पर डाल देती हैं। हालांकि, बता दें कि पिछले कई महीनों में तेल की कीमतों ने उछाल देखा है, लेकिन इसका असर घरेलू बाजार पर नहीं दिखा है।

विदेशी शिक्षा और यात्रा महंगी

रुपये का मूल्य घटने पर विदेशी यात्रा और विदेश में पढ़ाई करना भी महंगा हो जाएगा। अगर जनवरी में आप किसी दूसरे देश जाने के लिए 1,000 डॉलर यानी लगभग 74,000 रुपये चुका रहे थे, तो अब आपको उस यात्रा के लिए 80,000 रुपये चुकाने पड़ेंगे।

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यह है सकारात्मक पहलू

कमजोर रुपये का यह भी मतलब है कि अब भारत में निर्यात को बढ़त मिलेगी. कमजोर रुपये से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय निर्यात के लिए ज्यादा प्रतिद्वंद्वी पैदा होगा। निर्यातक जिस उत्पाद पर 74 रुपये का मूल्य पा रहे थे, उसके लिए उन्हें अब 80 रुपये मिलेगा।

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