दुर्लभ खनिज चुंबक के विनिर्माण को प्रोत्साहन की योजना अधिसूचित

दुर्लभ खनिज चुंबक के विनिर्माण को प्रोत्साहन की योजना अधिसूचित

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  • Publish Date - December 16, 2025 / 10:25 PM IST,
    Updated On - December 16, 2025 / 10:25 PM IST

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) केंद्र सरकार ने 7,280 करोड़ रुपये के व्यय के साथ ‘सिंटर्ड दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुंबक (आरईपीएम) के विनिर्माण की प्रोत्साहन योजना’ को अधिसूचित कर दिया है।

इस योजना का मकसद चीन पर निर्भरता कम करना और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), इलेक्ट्रॉनिक्स, वैमानिकी और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों के लिए आपूर्ति शृंखला को सुरक्षित करना है।

भारी उद्योग मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि यह योजना दुर्लभ पृथ्वी अर्थ ऑक्साइड (आरईओ) को सिंटर्ड स्थायी चुंबक एनडीफेब में बदलने की पूर्ण घरेलू मूल्य शृंखला विकसित करने के लिए लाई गई है।

एनडीफेब यानी निओडिमियम-ऑयरन-बोरॉन सबसे शक्तिशाली स्थायी चुंबक बनाने में इस्तेमाल होने वाला मिश्रधातु है। इसका इस्तेमाल रणनीतिक और औद्योगिक दोनों क्षेत्रों में होता है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ समय पहले ही दुर्लभ चुंबक के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को मंजूरी दी थी।

मंत्रालय ने कहा कि इस योजना के तहत देश में 6,000 टन प्रति वर्ष की एकीकृत आरईओ से सिंटर्ड एनडीफेब चुंबक की विनिर्माण क्षमता स्थापित करने को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

इसके लिए पांच लाभार्थियों का चयन पारदर्शी वैश्विक निविदा प्रक्रिया के जरिये किया जाएगा, जिसके लिए अनुरोध प्रस्ताव जारी किया जाएगा।

एक लाभार्थी को न्यूनतम 600 टन प्रति वर्ष और अधिकतम 1,200 टन प्रति वर्ष क्षमता आवंटित की जाएगी। पात्र इकाइयों को सिंटर्ड एनडीफेब आरईपीएम की बिक्री पर बिक्री-आधारित प्रोत्साहन और संयंत्र स्थापना के लिए पूंजी सब्सिडी मिलेगी।

योजना की कुल अवधि सात वर्ष की होगी, जिसमें दो वर्ष संयंत्र स्थापना के लिए और पांच वर्ष प्रोत्साहन वितरण के लिए निर्धारित हैं। यदि उत्पादन पहले शुरू होता है तो अतिरिक्त अवधि के लिए भी प्रोत्साहन मिलेगा।

भारत के पास विश्व के बड़े दुर्लभ खनिज भंडारों में से एक है, लेकिन फिलहाल देश सिंटर्ड एनडीफेब चुंबक की पूरी जरूरत को आयात से पूरी करता है। यह योजना इस कमी को दूर करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण