नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि आरबीआई के 2017 के दिशानिर्देशों के अनुरूप प्रक्रिया पूरी करने के बाद बैंक खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित किए जाने के बाद ऐसे खाताधारकों को ‘निजी सुनवाई’ का मौका देने का क्या औचित्य होगा।
न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ एसबीआई की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी गई है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में ऐसे खाताधारकों को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के तहत व्यक्तिगत सुनवाई देने का मौका देने का निर्देश दिया था।
पीठ ने अमित आयरन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर से कहा, ”जब बैंक आरबीआई परिपत्र के अनुरूप निर्धारित प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं, और कारण बताओ नोटिस के बाद आपको लिखित में अपना पक्ष रखने का मौका दे रहे हैं, तो व्यक्तिगत सुनवाई का औचित्य क्या है?”
सुनवाई की शुरुआत में एसबीआई की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि व्यक्तिगत सुनवाई पर जोर देने से बैंकों और नियामक व्यवस्था की अखंडता को ठोस नुकसान होता है।
इस मामले पर सुनवाई पूरी नहीं हो पाई और यह बुधवार को भी जारी रहेगी।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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