नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राजस्थान की बिजली वितरण कंपनियों की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें अदाणी पावर राजस्थान लिमिटेड (एपीआरएल) के पक्ष में दिए गए बिजली अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती दी गई थी।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और राजस्थान बिजली वितरण कंपनियों की अपील में कोई दम नहीं है।
पीठ ने बिजली अपीलीय न्यायाधिकरण (एपीटीईएल) के उस निष्कर्ष को बरकरार रखा कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा लगाया गया निकासी सुविधा शुल्क ‘कानून में बदलाव’ है, जो अदाणी पावर को बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के तहत मुआवजे का हकदार बनाता है।
सीआईएल ने दिसंबर, 2017 में एक अधिसूचना जारी कर 50 रुपये प्रति टन का निकासी सुविधा शुल्क (ईएफसी) लगा दिया था। इसे अदाणी पावर ने पीपीए के अनुच्छेद 10 के तहत ‘कानून में बदलाव’ बताते हुए मुआवजे की मांग की थी।
बिजली वितरण कंपनियों से कोई जवाब न मिलने पर अदाणी समूह की कंपनी ने राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (आरईआरसी) से संपर्क किया, जिसने आंशिक रूप से उसके दावों को स्वीकार कर लिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने एपीटीईएल से संपर्क किया, जिसने अप्रैल 2024 में अदाणी पावर के पक्ष में फैसला सुना दिया था।
न्यायमूर्ति सुंदरेश ने पीठ के लिए लिखे फैसले में कहा कि सीआईएल जैसी सरकारी इकाई द्वारा नया वैधानिक शुल्क लगाना कानून में बदलाव के बराबर है। ऐसी स्थिति में बिजली उत्पादक को पुरानी आर्थिक स्थिति में वापस लाने के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए।
एपीटीईएल ने अपने फैसले में कहा था कि एपीआरएल उस तारीख से मुआवजे की हकदार होगी, जिस दिन कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा जारी अधिसूचना लागू की गई थी।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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