नयी दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में काम की सुस्त रफ्तार से काफी नाराज हैं। गडकरी ने एनएचएआई में ‘देरी’ की कार्य संस्कृति पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि अब समय आ गया है जबकि ‘गैर-निष्पादित आस्तियों’ को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग परियोजनाओं में देरी कर रहे हैं और अड़चनें पैदा कर रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि एनएचएआई अक्षम अधिकारियों का ‘स्थल’ बना हुआ है, जो अड़चनें पैदा कर रहे हैं। ये अधिकारी प्रत्येक मामले को समिति के पास भेज देते हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जबकि ऐसे अधिकारियों को ‘निलंबित’ और बर्खास्त किया जाना चाहिए और कामकाज में सुधार लाया जाना चाहिए। गडकरी ने द्वारका में एनएचएआई के भवन के उद्घाटन के अवसर पर एक वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस भवन को बनने में नौ साल लगे हैं। उन्होंने कहा कि यहां ऐसे एनपीए हैं जो केंचुएं की तरह भी काम नहीं कर सकते हैं। यहां उन्हें रखा जाता है और पदोन्नत किया जाता है।
मंत्री ने कहा, ‘‘इस तरह की विरासत को आगे बढ़ाने वाले अधिकारियों के रवैये पर मुझे शर्म आती है।’’ एनएचएआई के भवन के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताते हुए गडकरी ने कहा, ‘‘ये अधिकारी फैसले लेने में विलंब करते हैं और जटिलताएं पैदा करते हैं। ये मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम), महाप्रबंधक (जीएम) स्तर के अधिकारी हैं जो बरसों से यहां जमे हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस इमारत के लिए निविदा 2011 में दी गई थी। इसे पूरा होने में नौ साल लगे। इस दौरान सात एनएचएआई चेयरमैन और दो सरकारें आईं-गईं।
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उन्होंने कहा कि आठवें चेयरमैन एस एस संधू के कार्यकाल में यह भवन पूरा हुआ। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इस तरह की देरी पर एक शोध पत्र तैयार होना चाहिए। इसमें देरी के लिए जिम्मेदार सीजीएम और जीएम की तस्वीरें होनी चाहिए। गडकरी ने कहा कि ऐसे लोगों का नाम और तस्वीरें सार्वजनिक करने के लिए समारोह होना चाहिए, जैसा कि मंत्रालय अच्छा काम करने वाले अधिकारियों के लिए करता है।