नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि भारत और अमेरिका अपने प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के ‘बेहद करीब’ हैं और दोनों देश इस मामले में सक्रिय रूप से बातचीत कर रहे हैं।
दोनों देश उच्च शुल्क से निपटने के लिए व्यापार समझौते की रूपरेखा तैयार करने और व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर अलग-अलग वार्ताएं कर रहे हैं।
अमेरिका के नए उप व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर, वाणिज्यिक सचिव के साथ व्यापार वार्ता करने के लिए पिछले सप्ताह यहां पहुंचे थे।
स्विट्जर की यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर गौर किया और समझौते एवं व्यापक बीटीए की बातचीत की प्रगति की समीक्षा की।
अग्रवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हम समझौते की रूपरेखा तैयार करने के बेहद करीब हैं, जिसे हम मानते हैं कि कम समय में पूरा किया जा सकता है। हालांकि मैं इसके लिए कोई समय सीमा नहीं बताना चाहूंगा।’’
बीटीए पर और औपचारिक दौर की बैठकें होने की संभावना पर उन्होंने कहा कि अंतिम चरण की वार्ता में आमतौर पर ऐसे दौर की आवश्यकता नहीं होती है।
सचिव ने बताया कि भले ही कोई औपचारिक दौर न हो लेकिन समापन के करीब पहुंचने तक भौतिक रूप से एवं ऑनलाइन माध्यमों से बैठकें होंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए, हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और हम जितनी जल्दी हो सके, इसे करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।’’
न्यूजीलैंड के साथ जारी वार्ता का उदाहरण देते हुए सचिव ने कहा कि जब हम एक ऐसे दौर में होते हैं, जहां कुछ ही मुद्दे या क्षेत्र सुलझाने बाकी होते हैं तो औपचारिक वार्ताओं का कोई दौर नहीं होता।
उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड के साथ हम वार्ता को अंतिम रूप देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और हर दिन इस पर बात होती है।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘ बातचीत का अंतिम चरण सबसे कठिन होता है, जहां शायद मुख्य अधिकारियों को सचिव या मंत्री स्तर पर निर्णय लेना पड़ता है।’’
यूरोपीय संघ के मामले में उन्होंने कहा, ‘‘ हम मतभेदों को कम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर हम सहमत नहीं हो पा रहे हैं…हम वस्तुतः बातचीत कर रहे हैं…ये चर्चाएं नियमित रूप से हो रही हैं।’’
ये वार्ता महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिकी प्रशासन ने उसके बाजारों में प्रवेश करने वाले भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगा दिया है। इन वार्ताओं के परिणाम रुपये के मूल्य में वृद्धि पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेंगे, जो अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 90 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया है।
भारतीय उद्योग और निर्यातक बातचीत के निष्कर्ष एवं समझौते की घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि उच्च आयात शुल्क अमेरिका को होने वाले उनके निर्यात को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
भाषा निहारिका रमण
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