guru ghasidas jayanti 2024
रायपुरः guru ghasidas jayanti 2024 सत्य और अहिंसा का संदेश जन जन तक पहुंचाने वाले संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास का आज 268वीं जयंती है। हर साल 18 दिसंबर का सतनामी समाज की ओर से बाबा गुरु घासीदास की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। सतनामी समाज के लोग दूर दूर से छत्तीसगढ़ बलौदाबाज जिले के गिरौदपुर धाम में बाबा के दर्शन करने के लिए जाते हैं। आइए जानते हैं संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास का बारे में
guru ghasidas jayanti 2024 बाबा गुरु घासीदास को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है। उनका जन्म 18 दिसंबर 1756 को छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी में एक गरीब और साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया। जिसका असर आज तक दिखाई पड रहा है। उनकी जयंती हर साल पूरे छत्तीसगढ़ में 18 दिसम्बर को मनाया जाता है।
जोंक नदी के संगम पर स्थित गिरौदपुरी धाम में जन्में बाबा को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है। उन्होंने समाज को सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया। उन्होंने मांस और मदिरा सेवन को समाज में पूरी तरह से बंद करवा दिया था। उनके द्वारा दिये गए उपदेश को जिसने आत्मसात कर जीवन में उतारा उसी समाज को आगे चलकर सतनामी समाज के रूप में जाना जाने लगा।
घासीदास के जन्म के समय समाज में छुआछूत और भेदभाव चरम पर था। घासीदास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को जब देखा तब उनके मन में बहुत पीड़ा हुई तब उन्होंने समाज से छुआछूत मिटाने के लिए ‘मनखे मनखे एक समान‘ का संदेश दिया। उन्होंने समाज को सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया। उन्होंने मांस और मदिरा सेवन को समाज में पूरी तरह से बंद करवा दिया था। उनके द्वारा दिये गए उपदेश को जिसने आत्मसात कर जीवन में उतारा उसी समाज को आगे चलकर सतनामी समाज के रूप में जाना जाने लगा।
1. गुरु घासीदास की जयंती कब मनाई जाती है?
गुरु घासीदास की जयंती 18 दिसंबर को मनाई जाती है, जो हर साल सतनामी समाज द्वारा धूमधाम से मनाई जाती है।
2. गुरु घासीदास को सतनामी समाज का जनक क्यों कहा जाता है?
गुरु घासीदास को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है क्योंकि उन्होंने समाज में व्याप्त छुआछूत, भेदभाव और कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई और समाज में समानता का संदेश दिया।
3. गुरु घासीदास ने समाज को कौन से महत्वपूर्ण संदेश दिए?
गुरु घासीदास ने समाज को “मनखे मनखे एक समान” का संदेश दिया, जिससे छुआछूत और जातिवाद को समाप्त करने का प्रयास किया गया। उन्होंने सत्य, अहिंसा और समानता के सिद्धांतों को समाज में फैलाया।
4. गुरु घासीदास के कौन से उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं?
गुरु घासीदास के उपदेश समानता, भाईचारे, सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित थे, जो आज भी हमारे समाज में प्रासंगिक हैं और समाज में सुधार की दिशा में योगदान देते हैं।
5. गुरु घासीदास की जयंती पर कौन से आयोजन होते हैं?
गुरु घासीदास की जयंती पर विशेष पूजा, भजन कीर्तन और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, विशेष रूप से गिरौदपुर धाम में उनके दर्शन के लिए लोग आते हैं।