Bilaspur High Court: ना पत्नी, ना बेटी की जिम्मेदारी? हाईकोर्ट ने कांस्टेबल की याचिका की खारिज, कहा- बेटी का भरण-पोषण पिता की कानूनी जिम्मेदारी

Bilaspur High Court: ना पत्नी, ना बेटी की जिम्मेदारी? हाईकोर्ट ने कांस्टेबल की याचिका की खारिज, कहा- बेटी का भरण-पोषण पिता की कानूनी जिम्मेदारी

Bilaspur High Court: ना पत्नी, ना बेटी की जिम्मेदारी? हाईकोर्ट ने कांस्टेबल की याचिका की खारिज, कहा- बेटी का भरण-पोषण पिता की कानूनी जिम्मेदारी

Bilaspur High Court/Image Source: IBC24

Modified Date: July 29, 2025 / 02:49 pm IST
Published Date: July 29, 2025 2:49 pm IST
HIGHLIGHTS
  • भरण-पोषण से नहीं बच सका कांस्टेबल,
  • हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका,
  • बेटी को 5000 प्रतिमाह देने का आदेश बरकरार,

बिलासपुर: Bilaspur News: अपनी पत्नी और बेटी को भरण-पोषण देने में असमर्थता जताते हुए दायर कांस्टेबल की पुनरीक्षण याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कांस्टेबल की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि फैमिली कोर्ट का आदेश पूरी तरह वैध है और इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। Bilaspur High Court

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Bilaspur High Court:  कांस्टेबल वर्तमान में कोण्डागांव जिला पुलिस बल में पदस्थ है। उसकी पत्नी ने फैमिली कोर्ट में धारा 125 सीआरपीसी के तहत भरण-पोषण की मांग करते हुए याचिका प्रस्तुत की थी। याचिका में पत्नी ने 30,000 रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण की मांग की और पति पर शारीरिक प्रताड़ना, छोड़ देने और बेटी की देखरेख नहीं करने जैसे आरोप लगाए। फैमिली कोर्ट अम्बिकापुर ने 9 जून 2025 को फैसला सुनाते हुए पत्नी की भरण-पोषण की मांग को अस्वीकार कर दिया लेकिन छह वर्षीय बेटी के पक्ष में 5,000 रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण देने का आदेश पारित किया।

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Bilaspur High Court:  कोर्ट ने कहा कि बच्ची की परवरिश और शिक्षा के लिए यह सहायता जरूरी है। कांस्टेबल ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उसका कहना था कि बच्ची उसकी संतान नहीं है, वह एचआईवी संक्रमित है और इलाज में भारी खर्च आता है, इसलिए भरण-पोषण देना व्यावहारिक नहीं है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की एकलपीठ ने कहा कि फैमिली कोर्ट का आदेश दोनों पक्षों के साक्ष्यों पर आधारित है।

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Bilaspur High Court:  आदेश में कोई त्रुटि नहीं है और याचिकाकर्ता के आरोप प्रमाणित नहीं हुए। अदालत ने कहा कि बेटी को भरण-पोषण देना पिता की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कांस्टेबल की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट का आदेश बरकरार रखा है।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

टिकेश वर्मा- जमीनी पत्रकारिता का भरोसेमंद चेहरा... टिकेश वर्मा यानी अनुभवी और समर्पित पत्रकार.. जिनके पास मीडिया इंडस्ट्री में 12 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव हैं। राजनीति, जनसरोकार और आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से सरकार से सवाल पूछता हूं। पेशेवर पत्रकारिता के अलावा फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना और किताबें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है। सादा जीवन, उच्च विचार के मानकों पर खरा उतरते हुए अब आपकी बात प्राथिकता के साथ रखेंगे.. क्योंकि सवाल आपका है।