छत्तीसगढ़: नाबालिग बच्चियों को भगाने, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामलों में इजाफा, जिले में पुलिस के लिए बने चुनौती

बीते 6 महीने के रजिस्टर आंकड़ों को देखें तो जिले में इस बीच बालिका व महिला संबंधी अपराधों के 300 से ज्यादा मामले रजिस्टर हुए हैं। इसमें सबसे ज्यादा करीब 133 मामले धारा 363 के दर्ज किए गए हैं, जिसमें नाबालिग बच्चियों को बहला -फुसलाकर, सब्जबाग दिखाकर घर से भगाया गया है।

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  • Publish Date - July 19, 2022 / 01:07 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:25 PM IST

cases of eviction of minor girls rape : बिलासपुर। जिले में बालिका और महिला संबंधी अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। 6 महीने में 300 से ज्यादा मामले रजिस्टर हो चुके हैं। इसमें सबसे अधिक मामले नाबालिग बच्चियों को भगाने और पॉक्सो एक्ट के सामने आए हैं, जो पुलिस के लिए नई चुनौती बन रहे हैं। तमाम कोशिशों और कवायदों के बाद भी इसपर नकेल नहीं कसा जा पा रहा है। हालांकि, दर्ज अपराधों में जरूर पुलिस आरोपियों की धरपकड़ कर रही है। देखिए रिपोर्ट..

दरअसल, बढ़ते शहर के साथ शहर में तेजी से अपराध का ग्राफ भी बढ़ रहा है। इसमें बालिका और महिला संबंधी अपराधों का ग्राफ सबसे ज्यादा है। दुष्कर्म, छेड़छाड़ और पॉक्सो के अपराध के साथ नाबालिग बच्चियों को घर से बहला-फुसलाकर भगाने के मामले सबसे ज्यादा आ रहे हैं।

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बीते 6 महीने के रजिस्टर आंकड़ों को देखें तो जिले में इस बीच बालिका व महिला संबंधी अपराधों के 300 से ज्यादा मामले रजिस्टर हुए हैं। इसमें सबसे ज्यादा करीब 133 मामले धारा 363 के दर्ज किए गए हैं, जिसमें नाबालिग बच्चियों को बहला -फुसलाकर, सब्जबाग दिखाकर घर से भगाया गया है।

cases of eviction of minor girls rape : इसी तरह दूसरे नंबर में पॉक्सो के प्रकरण हैं। बीते 6 माह में पॉक्सो के 61 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। जिसमें अपराधियों ने नाबालिग बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाया है। इसके अलावा 55 के करीब धारा 376, बलात्कार के मामले भी दर्ज किए गए हैं, जिसमें शादी का झांसा या फिर प्रेमजाल में फंसाकर महिला अपराध को अंजाम दिया गया है। 354 छेड़छाड़ के भी 45 प्रकरण रजिस्टर हुए हैं।

6 माह में 300 के करीब बालिका व महिला संबंधी अपराध

इस तरह बीते 6 माह में 300 के करीब बालिका व महिला संबंधी अपराध जिले में रजिस्टर हुए हैं। तमाम कोशिशों और कवायदों के बाद भी इस पर नकेल नहीं कसा जा पा रहा है। रक्षा टीम, सीडब्ल्यूसी, बाल कल्याण, चाइल्ड लाइन, सखी सेंटर और संवेदना के जरिए जरूर पुलिस इन्हे न्याय दिलाने का प्रयास कर रही है। समय -समय पर जागरूकता के कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिसमें दर्ज अपराधों पर पुलिस तेजी से अपराधियों की धर पकड़ कर रही है।

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50 नाबालिगों का अबतक कोई पता नहीं

अधिकांश दुष्कर्म और पॉक्सो के मामलों में अपराधी सलाखों के पीछे भी हैं। लेकिन 363 के मामलों में जिसमें नाबालिगों को बहला फुसलाकर घर से भगाया गया है, ये पुलिस के लिए नई चुनौती बन रहे हैं। इनके खोजबीन में पुलिस को उतनी सफलता नहीं मिल रही है। 50 नाबालिगों का पुलिस अबतक कोई पता नहीं लगा सकी है।

हालांकि पुलिस अब बालिका और महिला अपराधों को लेकर और मुस्तैदी से काम करने की बात कह रही है। जिले की SSP पारुल माथुर की माने तो इसके लिए रक्षा टीम, सीडब्ल्यूसी, बाल कल्याण के जरिए पुलिस लगातार बालिका व महिला संबंधी अपराध के ग्राफ को कम करने का प्रयास कर रही है।