Vishnu Ka Sushasan. Image Source- IBC24
रायपुरः Vishnu Ka Sushasan: धान का कटोरा कहा जाने वाला छत्तीसगढ़ राज्य अपने निर्माण के 25 गौरवशाली वर्ष पूरा कर रहा है। इन ढाई दशकों में छत्तीसगढ़ ने विकास, सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक उत्थान और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय की सरकार इस वर्ष को रजत जंयती वर्ष के रूप में मना रही है। परख की हर कसौटी पर खरा उतरने वाली सुशासन सरकार रजत जंयती वर्ष में केंद्र सरकार के साथ बेहतर समन्वय से काम कर रही है। नक्सलवाद के खात्मे की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। वहीं अधोसंरचना विकास के काम भी साय सरकार बनने के बाद तेजी से हुआ है।
Vishnu Ka Sushasan: छत्तीसगढ़ की साय सरकार बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे के लिए बेहतर रणनीति बनाई है। अंदरूनी इलाकों में नए कैंप खोले जा रहे हैं। कैंप स्थापित होने से नक्सलियों की कमर टूट चुकी हैं. इतना ही नहीं लगातार फोर्स के दबाव के चलते इलाके के सैंकड़ों नक्सलियों ने मुख्य धारा में लौट आए हैं। कभी नक्सल हिंसा के लिए जाना जाने वाला बस्तर अब “विकसित बस्तर” के सपने को साकार कर रहा है। लगभग 90,000 युवाओं ने कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जबकि 40,000 से अधिक युवाओं को रोज़गार प्रदान किया गया है। इस क्षेत्र में विशेष निवेश प्रोत्साहन भी दिए जा रहे हैं। विश्व स्तर पर अद्वितीय बस्तर दशहरा को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता के लिए पंजीकृत किया जा रहा है। तीरथगढ़ ग्लास ब्रिज और बस्तर पर्यटन सर्किट जैसे पर्यटन स्थलों का सक्रिय विकास किया जा रहा है। इसके अलावा, आदिवासी उद्यमियों को सहायता देने के लिए रॉयल्टी प्रतिपूर्ति और सब्सिडी की शुरुआत की गई है।
रावघाट और जगदलपुर के बीच 3,500 करोड़ रुपये की रेल लाइन के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। कोठागुडेम से किरंदुल रेलवे लाइन के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू हो गया है, जबकि खरसिया-परमलकसा लाइन प्रमुख औद्योगिक केंद्रों को जोड़ेगी। हवाई मालवाहक सेवाएँ भी शुरू हो गई हैं।
विकसित भारत @2047 के राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप “अंजोर विज़न” नामक एक व्यापक विकास रोडमैप तैयार किया गया है। इस दस्तावेज़ में चरणबद्ध विकास रणनीति की रूपरेखा दी गई है, जिसमें विनिर्माण क्षेत्र, विशेष रूप से इस्पात और विद्युत क्षेत्र, जो छत्तीसगढ़ के रीढ़ उद्योग हैं, को मुख्य फोकस क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक सभी बुनियादी ढाँचे की तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। राज्य में रेलवे के बुनियादी ढाँचे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और नेटवर्क को और मज़बूत करने के लिए तेज़ी से निर्माण कार्य चल रहा है। इसमें 47,000 करोड़ रुपये की मौजूदा परियोजनाएँ शामिल हैं। रावघाट से जगदलपुर रेलवे लाइन और तेलंगाना में किरंदुल से कोठागुडेम लाइन (जिनमें से 138 किलोमीटर बस्तर से होकर गुजरेगी) जैसे नए मार्ग विकसित किए जा रहे हैं। रायगढ़ के खरसिया से राजनांदगांव के परमलकासा तक एक नया राजमार्ग गलियारा कच्चे माल की आपूर्ति और तैयार माल के वितरण को सुव्यवस्थित करेगा, जिससे उत्पादन लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी।
उद्योग किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। उद्योग न केवल आर्थिक विकास को गति देते हैं, बल्कि रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास और जीवन स्तर में सुधार में भी सहायक होते हैं। यहीं वजह है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई वाली छत्तीसगढ़ की सुशासन सरकार प्रदेश में नई औद्योगिक नीति बनाकर उद्योगों को बढ़ावा देने और उनके विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाया है। छत्तीसगढ़ में इसका अच्छा प्रतिसाद भी देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में साय सरकार गठित होने के बाद 1,23,073 करोड़ कुल निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इसके अलावा 20,627 नए रोजगार के अवसर भी छत्तीसगढ़ के युवाओं को प्राप्त हुए हैं।
छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के पहले कई स्कूल शिक्षिकविहीन थे। कई स्कूल ऐसे भी थे, जहां केवल एक शिक्षक ही पदस्थ थे। इतना ही नहीं कई स्कूलों में तो शिक्षक और छात्रों का अनुपात में विषमता भी थी। इससे छात्रों की पढ़ाई पर असर हो रहा था। शिक्षक नहीं होने से बच्चों की दर्ज संख्या कम हो रही थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद विष्णुदेव साय ने बच्चों की गुणवत्ता शिक्षा पर जोर देते हुए संवेदनशील पहल की और प्रदेश युक्तियुक्तकरण जैसी नीति लाकर बच्चों के सपने को नया पंख दिया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की महत्वकांक्षी युक्तियुक्तकरण नीति ने ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में शिक्षा की तस्वीर बदल दी है। जिन स्कूलों में पहले शिक्षक की कमी से पढ़ाई प्रभावित होती थी, वहां अब नियमित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुचारू रूप से संचालित हो रही है। साय सरकार के युक्तियुक्तकरण जैसे पहलों से न केवल शिक्षकविहीन स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित हो पाई है, बल्कि बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है।