Chunavi Chaupal in Manendragarh : जिला बनने के बाद भी है सुविधाओं का अभाव, क्या 2023 में कांग्रेस को रिटर्न गिफ्ट देगी मनेंद्रगढ़ की जनता

Chunavi Chaupal in Manendragarh : जिला बनने के बाद भी है सुविधाओं का अभाव : Chunavi Chaupal in Manendragarh : Voter Opinion of Manendragarh

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  • Publish Date - March 1, 2023 / 06:48 PM IST,
    Updated On - March 1, 2023 / 06:48 PM IST

Chunavi Chaupal in Manendragarh

Chunavi Chaupal in Manendragarh साल 2023 मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए बेहद ही खास रहने वाला है। इस साल दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव होने को है। दोनों राज्यों के राजनीतिक पार्टियों ने इन दोनों राज्यों में चुनावी तैयारियों में जुट गई है। जनता को रिझाने की कोशिश राजनीतिक पार्टियां कर रही है।

इस चुनावी साल में IBC24 एक बार फिर आपके पास पहुंच रहा है। हम अपने कार्यक्रम चुनावी चौपाल के जरिए आपसे संवाद कर आपके मुद्दों को जानेंगे। आज हमारी टीम छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ विधानसभा पर पहुंची और लोगों से वहां की समस्याओं और विधायक के प्रदर्शन को लेकर बातचीत की।

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Chunavi Chaupal in Manendragarh मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले और कोरबा लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है। निर्वाचन आयोग के मुताबिक इस विधानसभा सीट पर 153 पोलिंग बूथ है। यहां कुल 132783 मतदाता है। इनमें 68106 पुरूष और 64675 महिला मतदाता है। कोयला नगरी के नाम से मशहूर इस विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में यह सीट आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित थी। परिसीमन के बाद 2008 में इस विधानसभा सीट को सामान्य घोषित कर दिया गया।

2018 में कांग्रेस ने लहराया परचम

2018 में हुए इस विधानसभा चुनाव में मनेंद्रगढ़ सीट पर कांग्रेस के विनय जायसवाल ने नजदीकी मुकाबले में बीजेपी के श्याम बिहारी जायसवाल को हरा दिया था। विनय ने चुनाव में 35,819 और श्याम ने 31,745 मत हासिल किए। वहीं जोगी कांग्रेस से लखन लाल श्रीवास्तव तीसरे स्थान पर रहे।

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2013 में ऐसा था परिणाम

2013 में इस सीट पर 72.24 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस समय बीजेपी प्रत्याशी श्यामबिहारी जयसवालको 32 हजार 613 वोट मिले थे, जो कि कुल वोटों का 35.96 फीसदी था। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार गुलाब सिंह को 28 हजार 435 वोट मिले, जो कुल का 31.35 फीसदी था।

2008 में परिसीमन के बाद बीजेपी का कब्जा

परिसीमन के बाद 2008 में इस विधानसभा सीट को सामान्य घोषित कर दिया गया। इसके बाद बीजेपी के दीपक पटेल ने एनसीपी के रामानुज को मात देकर भगवा ध्वज फहराने में कामयाब रहे। दीपक पटेल को 30 हजार 912 वोट मिले थे, जबकि एनसीपी को 16 हजार 630 वोट मिले थे। इस तरह से दीपक पटेल ने रामानुज को 14 हजार 282 मतों से करारी मात दी थी।

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2003 में कांग्रेस के गुलाब सिंह ने जीता चुनाव

हालांकि छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में यह सीट आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित थी। इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब सिंह ने बीजेपी के रामलखन सिंह पैकरा को करारी मात दी थी। कांग्रेस को 45 हजार 515 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 33 हजार 989 वोट मिले थे। इस तरह गुलाब सिंह ने रामलखन सिंह के 11 हजार 526 वोटों से मात देकर विधायक बने थे।

कांग्रेस सरकार ने पूरी की जिले की मांग

मनेंद्रगढ़ के लोगों की कई सालों से की मांग की मनेंद्रगढ़ को जिला बनाया जाए। छत्तीसगढ़ सरकार ने तोहफा देते हुए इसे जिले बनाने का ऐलान किया। इस नए जिले का मुख्यालय बने मनेंद्रगढ़ को वर्ष 1930 में नियोजित शहर के रूप में बसाया गया था। उस जमाने में यह इस भौगोलिक-सांस्कृतिक क्षेत्र का पहला नियोजित शहर था। यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ और देश की औद्योगिक प्रगति का शुरू से ही आधार रहा है।

2023 विधानसभा चुनाव को लेकर जनता का मूड

विकास के सवाल एक वरिष्ठ मतदाता ने कहा कि जिला बनने के बाद विकास के रास्ते तो खुले हैं, लेकिन अभी तक किसी ने इसके विकास की ओर ध्यान नहीं दिय़ा। शहर को नगर निगम बनानी चाहिए। मुद्दें को लेकर एक स्थानीय महिला नागरिक ने कहा कि शहर के बाजार में महिला शौचालय नहीं होने के कारण प्रसाधन के लिए महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। सरकार और प्रशासन को बाजार में महिलाओं के लिए शौचालय का निर्माण कराना चाहिए। स्वास्थ्य को लेकर उन्होंने कहा कि यहां के स्वास्थ्य केंद्र में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है, लिहाजा महिलाओं को प्रसव के लिए शहर के बाहर ले जाना पड़ता है। उद्योग नहीं होने के कारण लोगों को दूसरे शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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