Coal India: रोजगार विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, कोल सचिव को दिखाए गए काले झंडे

Coal India: Protests against anti-employment policies रोजगार विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, कोल सचिव को दिखाए गए काले झंडे

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  • Publish Date - November 14, 2022 / 05:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:33 PM IST

Protests against anti-employment policies: कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में आज कोयला मंत्रालय के सचिव अमृत लाल मीणा और एसईसीएल के सीएमडी प्रेमसागर मिश्रा के दौरे का जबरदस्त विरोध हुआ। मीणा और मिश्रा के आगमन की खबर लगते ही सैकड़ों भूविस्थापित लामबंद हो गए और काले झंडे लेकर मीणा गो बैक के नारे लगाने लगे। इस अनायास प्रदर्शन से एसईसीएल प्रबंधन के हाथ-पैर फूल गए।

आनन-फानन में कुसमुंडा थाना प्रभारी के नेतृत्व में त्रिपुरा बटालियन और सीआईएसएफ के बलों को भेजा गया, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को अपनी हिरासत में लिया और उनसे काले झंडे जब्त किए गए। कोयला सचिव और सीएमडी का दौरा पूरा होने के बाद ही प्रदर्शनकारियों को थाने से छोड़ा गया। उल्लेखनीय है कि भूविस्थापितों के रोजगार और पुनर्वास की मांग को लेकर इस क्षेत्र में लंबे समय से आंदोलन चल रहा है।

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कुसमुंडा में भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के बैनर पर अनिश्चितकालीन धरना को 378 दिन पूरे हो चुके हैं, तो गेवरा कोयला खदान विस्तार क्षेत्र नरईबोध के पास किसान सभा के नेतृत्व में उन्होंने अपना पंडाल गड़ा कर विस्तार को एक महीने से रोक कर रखा है। पिछले चार दशकों से भूविस्थापित रोजगार के लिए एसईसीएल कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन बहुत सारे नियमों का हवाला देते हुए उन्हें रोजगार देने से इंकार किया जा रहा है। कोयला मंत्रालय के सचिव मीणा का सीएमडी, एरिया महाप्रबंधकों और एसईसीएल के अन्य अधिकारियों के साथ यह दौरा कोयला उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से हो रहा था, क्योंकि पिछले दो सालों से इस क्षेत्र में कोयला उत्पादन बाधित हो रहा है और उत्पादन लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है।

Protests against anti-employment policies: इस दौरे की खबर लगते ही भूविस्थापित आक्रोशित हो गए। उनका कहना है कि रोजगार दिए बिना कोयला उत्पादन के लक्ष्य को पूरा नहीं होने देंगे। 17 नवम्बर को किसान सभा ने कुसमुंडा-गेवरा खदान बंद करने का आह्वान किया है। एक साल के भीतर 6वीं बार खदान बंदी का आह्वान किया गया है। किसान सभा नेता प्रशांत झा, जवाहर सिंह कंवर, जय कौशिक और रोजगार एकता संघ के रेशम यादव, दामोदर श्याम, रघु यादव आदि ने कहा है कि एसईसीएल प्रबंधन को उत्पादन बढ़ाने से पहले भूविस्थापितों के समस्याओं का समाधान करना होगा, अन्यथा कोयला से जुड़े किसी भी अधिकारी और कोयला मंत्री के दौरे का भी विरोध किया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि एक ओर वे अपनी भूमि के अधिग्रहण के बाद रोजगार और पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रहे हैं, दूसरी ओर ग्रामीणों की बर्बादी और किसानों की लाशों पर इस क्षेत्र में एसईसीएल अपने मुनाफे के महल खड़े कर रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों की इस नीति का हर स्तर पर पुरजोर विरोध किया जाएगा। 17 नवम्बर को आहूत खदान के महाबंद आंदोलन को सफल बनाने के लिए खनन प्रभावित गांवों में भूविस्थापितों और ग्रामीणों की बैठकें शुरू हो चुकी है।

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