बयानों के तीर…घाव करे गंभीर! डी पुरंदेश्वरी का थूक वाला बयान बीजेपी को पड़ेगा भारी?

बयानों के तीर...घाव करे गंभीर! ! D Purandeshwari's spitting statement will cost the BJP heavily?

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  • Publish Date - September 7, 2021 / 11:32 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:45 PM IST

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Thuk wala bayan D Purandeshwari

रायपुर: प्रदेश में इन दिनों बारिश की झड़ी के साथ साथ राजनीतिक बयानों की बौछार हो रही है। सत्ताधारी कांग्रेस हो या विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी एक दूसरे पर लगातार बयानबाजी कर रहे है। ताजा मामला डी पुरंदेश्वरी के चिंतन शिविर में दिए बयान को लेकर है, जिसे लेकर बीजपी-कांग्रेस में तल्खी बढ़ती ही जा रही है। तो क्या माना जाए कि मिशन 2023 के लिए बीजेपी-कांग्रेस ने अपना एजेंडा सेट कर लिया है? बड़ा सवाल ये भी कि पुरंदेश्वरी का थूक वाला बयान बीजेपी को भारी पड़ेगा?

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प्रदेश में 15 साल सत्ता में रहने के बाद बीजेपी अब मिशन 2023 के ब्लू प्रिंट पर मंथन करने में जुट गई है। इसकी शुरुआत बस्तर में चिंतन शिविर से हुई। लेकिन आखिरी दिन प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी बीजेपी कार्यकर्ताओं को चार्ज करने कुछ ऐसा बयान दिया, जिसके बाद सूबे में बयानों की बाढ़ आ गई है।

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पुरंदेश्वरी का बयान सामने आने के बाद बीजेपी नेताओं ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस पूरी तरह हमलावर है। पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जवाबी हमला किया, तो अब संचार प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी ने याद दिलाया कि पिछले चुनाव में रमन सिंह ने भूपेश बघेल को छोटा आदमी कहा था। लेकिन नतीजा सबने देखा उन्हे सत्ता से हाथ धोना पड़ा। अब डी पुरंदेश्वरी के बयान का जवाब भी जनता ही देगी।

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दूसरी ओर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस नेताओं के पास सरकार की उपलब्धि गिनाने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए पुराने और गड़े मुद्दों को फिर से उठाकर जनता का ध्यान भटका रही है। भाजपा ने बस्तर में चिंतन कर धर्मांतरण को मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरना शुरू किया। लेकिन कैडर बेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश फूंकने के चक्कर में पार्टी प्रभारी ने जिन शब्दों का प्रयोग किया, उसके बाद पार्टी खुद चौतरफा घिरी नजर आई। जवाब में हमवार सत्तापक्ष ने भी याद दिला दिया है कि 2018 में भाजपा का बड़बोलापन उसे कितना भारी पड़ा था। बहरहाल, लगता नहीं कि बयानों का ये सिलसिला चुनाव तक थमेगा। बड़ा सवाल ये कि क्या जनता इन बयानों को भूल पाएगी?

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