To save Gauraiya birds, a young man is planting grains, water and nests in the trees
धमतरी। वर्तमान परिवेश में जंहा युवा नशे की गर्त में समा रहे हैं तो दूसरी ओर ऐसे भी युवा है जो समाज और देश के लिए मिशाल पेश कर रहे है। कुछ ऐसा ही उदाहरण धमतरी जिले के मोहन साहू का है, जो विलुप्त हो रही गौरैया पक्षी को बचाने मुहिम की शुरू की है। युवक गौरैया पक्षीयों को बचाने उनके लिए दाना पानी और घोसला तैयार कर पेड़ों में लगा रहे है, वहीं युवा के इस पहल का पूरे ईलाके में तारिफ हो रही है।
दरअसल बढ़ती तकनीकी इस्तेमाल से हमारे पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। इसका असर इंसानों के अलावा पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है। हमारे करीब रहने वाले कई प्रजातियों के पक्षी चिड़िया आज तेजी से गायब हो रही हैं। इनमें से एक है गौरेया चिड़िया जो हमारे सबसे निकट पाए जाने वाले गौरेया के संरक्षण के लिए कुरुद क्षेत्र के ग्राम मंदरौद निवासी मोहन साहू पिछले चार साल से तरह-तरह के उपाय कर रहा है।
बता दे कि मोहन साहू पिछले चार साल से पक्षियों को गर्मियों से राहत दिलाने और उसकी प्यास बुझाने सकोरे बनाकर पेड़ों में टांग उसमें दाना पानी डालते हैं। इस साल भी गौरैया के संरक्षण लिए 100 नग लकडी का घोसला बनाकर गांव के आस पास के जगहों में उसने लगाये हैं। इन घोसलों में चिड़ियों का आना शुरु भी हो गया है। ऐसे में गौरेया के परिवार निर्माण की संख्या में भी वृद्धि होने लगी है।
मोहन साहू ने बताया की उन्हे ये आईडिया फेसबुक से मिली है, जिसके बाद वे स्वंय के खर्च से सकोरा और गौरैया के लिए घोसला तैयार के पेडो में लगाया शुरू किया और आज उनके इस पहल को अच्छा रिस्पांस भी मिलने लगा है। गौरतलब है कि आज से दस साल पहले अमूमन सभी घरो के आंगन में फुदकने वाली गौरैया तेजी से विलुप्त हो रही है, जिसके सरंक्षण का बीड़ा मोहन साहू ने उठाया है। उसके इस सराहनीय पहल की हर कोई तारिफ कर रहा है। देश में गौरैया सहित कई अन्य प्रजाति के पक्षी भी धीरे धीरे विलुप्ती के कगार पर है। अगर समय रहते कोई ठोस पहल नहीं किया गया तो आने वाले समय में इस धरती से कई प्रजाति के पुश पक्षी विलुप्त हो जायेगी और इतिहास के पन्नो में दब जायेगी। IBC24 से देवेंद्र कुमार मिश्रा की रिपोर्ट