किसान या धर्मांतरण…चुनावी मुद्दे की तलाश…क्या कांग्रेस के पास है भाजपा के इस दांव का कोई मजबूत काट?
किसान या धर्मांतरण...चुनावी मुद्दे की तलाश...! Does Congress have any strong bite to this bet of BJP?
रायपुर: 2023 के चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ भाजपा को जिन मुद्दों की तलाश थी, धर्मांतरण और किसान के रूप में शायद वो पूरी होती दिख रही है। आज भाजपा प्रदेश संगठन की अहम बैठक बाद पार्टी ने धर्मांतरण के मुद्दे पर आक्रामक विरोध- प्रदर्शन की कार्ययोजना का ऐलान कर दिया। वहीं किसानों के मुद्दे पर भी सड़क में उतरेगी भाजपा। अब सवाल है क्या इन दोनों मुद्दों पर भाजपा अपनी खोई हुई जनाधार पा सकेगी? सवाल ये भी कि विपक्ष के इस चाल का सत्तारुढ़ कांग्रेस के पास क्या काट है?
छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल ने एक साथ प्रेस कांफ्रेंस कर जिस अंदाज में धर्मांतरण का मुद्दा उठाया और सरकार पर निशाना साधा। उससे ये साफ हो गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में धर्मांतरण को भाजपा बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है। प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेताओं ने एक सुर में सरकार पर हमला बोला और कहा कि नई सरकार आने के बाद लालच देकर लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है। प्रेस कांफ्रेस में ही मयंक यादव नाम के शख्स का शपथपत्र पेश कर बीजेपी नेताओं ने कहा कि उसे धर्म बदलने के लिए पैसे, फ्री शिक्षा और विदेश यात्रा का लालच दिया गया। लेकिन शपथ पत्र देकर शिकायत करने के बाद भी ना तो पुलिस ने बयान लिया, ना दोषियों पर कार्रवाई की। विपक्ष का दावा है कि धर्मांतरण की 200 शिकायत पुलिस के पास है पर कहीं कार्रवाई नहीं की जा रही। इसी के विरोध में 11 सितंबर को भाजपा रायपुर में शांति मार्च कर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगी, फिर 12 और 15 सिंतबर को प्रदेशभर में विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा। इसे लेकर भाजपा प्रदेश संगठन की अहम बैठक भी कुशाभाउ ठाकरे प्रदेश कार्यालय में हुई, जिसमें तय किया गया कि भाजपा किसान के मुद्दों पर भी आगामी 13 और 14 सितंबर को सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी।
भाजपा के आरोपों पर कांग्रेस ने भी तीखा जवाब दिया। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने सवाल किया कि 15 साल तक भाजपा को धर्मांतरण नहीं दिखा, लेकिन सत्ता गई तो धर्मांतरण की याद आ गई। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शांत माहौल बिगाड़ना चाहती है।
अभी भले चुनाव में 2 साल का वक्त बचा हो, लेकिन भाजपा आक्रामक विपक्ष के तौर पर नजर आनी लगी है और जिस तरह किसान, बेरोजगारी जैसे मुद्दों के अलावा, हिंदुत्व और धर्मांतरण जैसे आजमाए मुद्दों पर सरकार को आक्रामकता के साथ घेरने का ऐलान किया है। उससे ये सवाल अहम हो जाता है कि क्या छत्तीसगढ़ में हिंदुत्व और धर्मांतरण का कार्ड भाजपा को बढ़त दिला पाएगा? क्या कांग्रेस के पास भाजपा के इस दांव का कोई मजबूत काट है?

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