रायपुरः SarkarOnIBC24 मुख्यमंत्री साइकिल योजना, जिसे असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए लॉन्च किया गया था, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये योजना अपने मकसद से भटकती नजर आ रही है। दरअसल, रायपुर के महादेव घाट स्थित भवन में रखी ये साइकिलें यहां पड़े पड़े जंग खा रही है, जबकि इन्हें असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को मुख्यमंत्री साइकिल योजना के तहत मुफ्त बांटा जाना था, लेकिन इसे जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही कहे या सरकारी महकमे की लालफीताशाही पूरा एक साल गुजरने के बाद भी इनकी कोई सुध लेना तो क्या यहां झांकने तक नहीं आया। लिहाज सैकड़ों साइकिलें कबाड़ में बदल गई और जनता के टैक्स से जमा सरकारी पैसे की बर्बाद हो गई।
SarkarOnIBC24 मुख्यमंत्री साइकिल योजना की शुरुआत साल 2012 में तत्कालीन रमन सरकार ने की थी, जिसका उद्देश्य था 18 से 35 साल की पंजीकृत महिला श्रमिकों को साइकिल देकर सशक्त बनाना है, लेकिन इन साइकिलों की मौजूदा हालत को देखते हुए इन्हें बिना रिपेयर किए नहीं बांटा जा सकता। जिस पर अब सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने कमीशनखोरी का आरोप लगाकर बीजेपी पर निशाना साधा है, जिस पर बीजेपी इसकी जांच कराकर साइकिले बांटने की बात कह रही है।
सरकार लोगों की भलाई के लिए पैसा पानी की तरह बहाती है, लेकिन जो योजना कागजों पर शानदार नजर आती है। धरातल पर आते-आते दम तोड़ने लगती है। यहां सवाल कुछ साइकिलों के जर्जर होने का नहीं है बल्कि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन का है। अगर योजनाएं ऐसे दम तोड़ेंगी और लापरवाही बरती जाएगी तो कभी अपना मकसद कभी पूरा नहीं कर पाएंगी। ऐसी लापरवही उजागर होने पर सरकार की फजीहत की वजह भी बनेंगी।