वन विभाग का दावा, सीपीआरएफ अधिकारी ने खाल खरीदने के लिए धनराशि का किया था अग्रिम भुगतान

वन विभाग का दावा, सीपीआरएफ अधिकारी ने खाल खरीदने के लिए धनराशि का किया था अग्रिम भुगतान

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  • Publish Date - July 6, 2023 / 09:17 PM IST,
    Updated On - July 6, 2023 / 09:17 PM IST

बीजापुर, छह जुलाई (भाषा) छत्तीसगढ़ में वन विभाग के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि राज्य के बीजापुर जिले में पिछले सप्ताह जब्त की गई बाघ की खाल को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक अधिकारी को सौंपा जाना था, जिन्होंने कथित तौर पर इसे खरीदने के लिए अग्रिम धन का भुगतान किया था।

अधिकारियों ने बताया कि नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के नैमेड़ इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 222वीं बटालियन में तैनात उप निरीक्षक अमित झा को वन विभाग ने इस सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया है।

इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उप निदेशक गणवीर धम्मशिल ने बताया कि 30 जून की रात को रिजर्व के मद्देड़ बफर रेंज के रुद्राराम गांव से बाघ की खाल बरामद की गई थी।

धम्मशिल ने बताया कि इंद्रावती टाइगर रिजर्व, उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व (गरियाबंद जिला) की अवैध शिकार रोधी दल और बीजापुर वनमंडल के संयुक्त दल ने यह कार्रवाई की थी।

उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था, बाद में दो पुलिसकर्मियों समेत छह और लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस मामले के छह अन्य आरोपियों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।

अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि बीजापुर वन प्रभाग के भोपालपटनम क्षेत्र में कांडला (छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर) गांव के पास बाघ का शिकार किया गया था।

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए 13 लोगों में शिकारी भी शामिल हैं।

धम्मशिल ने बताया, ”आरोपी ने वन विभाग को बताया कि नैमेड़ शिविर में तैनात सीआरपीएफ के एक अधिकारी अमित झा ने कथित तौर पर बाघ की खाल खरीदने के लिए पैसे दिए थे। हमने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया है। इस मामले में आगे जांच जारी है।”

उन्होंने बताया कि आरोपियों के बयानों के आधार पर कांडला गांव के पास जमीन के नीचे दबी हुई बाघ की हड्डियां बरामद की गई है। उन्होंने बताया कि हड्डियों को फोरेंसिक जांच के लिए जबलपुर लैब भेजा जाएगा।

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीएफ के अधिकारी ने कथित तौर पर 13 लाख रुपये में खाल खरीदने का सौदा किया था और किश्तों में 7.5 लाख रुपये का अग्रिम भुगतान किया था।

भाषा सं संजीव संजीव रंजन

रंजन