रायपुरः CG Politics छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस चुनाव में कांग्रेस एक भी नगर निगम नहीं जीत पाई। 10 नगर निगमों में बीजेपी का परचम लहराया है। इतना ही नहीं नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में भाजपा का जलवा देखने को मिला। कांग्रेस की इस करारी हार के बाद पार्टी अंदरूनी कलह भी सामने आने लगी है। रायपुर उत्तर से पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि आलाकमान को प्रदेश नेतृत्व में बदलाव करना चाहिए। अगर दीपक बैज अध्यक्ष बने रहेंगे तो मैं राजीव भवन जाना बंद कर दूंगा। उन्होंने कहा कि मैं अपनी बात रखने दिल्ली भी जाऊंगा।
CG Politics बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, जब कोई कांग्रेस नेता अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला है। इससे पहले पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने कहा था कि हम पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव, पीसीसी चीफ दीपक बैज और नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के कारण चुनाव हारे हैं। चारों नेताओं को अब हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के चारों बड़े नेताओं के बीच आपसी समन्वय नहीं था। चारों नेताओं ने अपना-अपना क्षेत्र बांट लिया था। कांग्रेस के दूसरे पंक्ति के नेताओं को सामने लाना था, लेकिन नहीं ला पाएं।
कांग्रेस की करारी हार के बाद प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट चल रही है। कई बड़े नेता इसकी मांग कर चुके हैं। अब इसे लेकर प्रदेश में जमकर सियासत भी हो रही है। रायपुरर दक्षिण के विधायक सुनील सोनी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पूरी तरह बिखर चुकी है।
कांग्रेस कार्यकर्ता समझ नहीं पा रहे कि पार्टी किसकी है? भूपेश, महंत, सिंहदेव या दीपक बैज की पार्टी है? कांग्रेस लगातार शून्य की ओर बढ़ रही है। कांग्रेस से जनता तो दूर हुए अब कार्यकर्ता भी दूर होंगे।
कांग्रेस की छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय चुनाव में हार के कारण क्या थे?
कांग्रेस की हार के कारण पार्टी में नेतृत्व के मुद्दे, अंदरूनी कलह, और प्रमुख नेताओं के बीच समन्वय की कमी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने इस हार के लिए भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, दीपक बैज, और चरणदास महंत को जिम्मेदार ठहराया है।
कुलदीप जुनेजा ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ क्या कहा?
पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा ने कहा कि आलाकमान को प्रदेश नेतृत्व में बदलाव करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि दीपक बैज अध्यक्ष बने रहेंगे, तो वह राजीव भवन जाना बंद कर देंगे और अपनी बात रखने दिल्ली भी जाएंगे।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार के बाद सियासी हालात क्या हैं?
कांग्रेस की हार के बाद प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। कई नेताओं ने इसके लिए आवाज उठाई है और प्रदेश में सियासी हलचल बढ़ गई है। रायपुर दक्षिण के विधायक सुनील सोनी ने भी कहा कि कांग्रेस पूरी तरह बिखर चुकी है और कार्यकर्ता भी पार्टी से दूर होते जा रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी कलह का क्या असर होगा?
कांग्रेस पार्टी में बढ़ती अंदरूनी कलह से पार्टी की छवि और चुनावी भविष्य पर असर पड़ सकता है। कार्यकर्ता और नेता अपने आपसी मतभेदों के कारण पार्टी के लिए एकजुट होकर काम नहीं कर पा रहे हैं, जिससे आगामी चुनावों में भी पार्टी को नुकसान हो सकता है।
कांग्रेस को इस हार के बाद किस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है?
कांग्रेस को अपनी आंतरिक समस्याओं का समाधान करना होगा, जिसमें नेतृत्व परिवर्तन और एकजुटता की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। पार्टी को कार्यकर्ताओं की आवाज को सुनकर सुधारात्मक कदम उठाने होंगे ताकि आगामी चुनावों में सफलता मिल सके।