Rajim News: कलम थामने की उम्र में परिवार का बोझ उठा रही मासूम, ऐसे निभा रही बेटी होने का फर्ज
कलम थामने की उम्र में परिवार का बोझ उठा रही मासूम, ऐसे निभा रही बेटी होने का फर्ज The innocent is carrying the burden of the family at the age of studies
Innocent carrying the burden of the family at the age of holding a pen
The innocent is carrying the burden of the family at the age of studies: राजिम। गरियाबंद के छुरा विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम सोरिदखुर्द निवासी दया राम भुंजिया अपने 3 सदस्य के परिवार के साथ तंग व बदहाल जिंदगी जीने मजबूर है। परिवार का मुखिया दयाराम शारीरिक रूप से कमजोर है। ठीक से चलना तो दूर खड़े भी नहीं हो सकता। विडम्बना यह है कि उसकी पत्नी द्रोपती एक बड़ी बीमारी से ग्रसित होने के चलते चल फिर नहीं पाती। उसे गोद मे उठाकर नियमित दिनचर्या कराई जाती है।
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नहीं मिल रहा जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ
बेबस मां व लाचार पिता की तबियत खराब होने के बाद उसकी 15 वर्ष की बेटी लोकेश्वरी कक्षा 7 वीं के बाद पढ़ाई छोड़कर माता -पिता की देखरेख करने के साथ ही घरेलू काम करने के बाद बाहर काम पर जाती है, तब कही जाकर माता-पिता व पूरे परिवार के भोजन की व्यवस्था हो पाती है। इतना सब होने के बावजूद प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बेबस परिवार को मिलता नजर नहीं आ रहा है। परिवार की माली हालत खराब होने व बीमार माता-पिता की लाचारी देख किशोरी बालिका का आगे की पढ़ाई करना सिर्फ सपना बन कर रह गया है।
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शिक्षिका बनने की इच्छा
लोकेश्वरी से चर्चा करने पर वह आगे पढ़ाई कर बड़ी होकर टीचर बनने की इच्छा जाहिर की है। साथ ही गरीब व बेबस परिवार ने शासन प्रशासन से मदद की गुहार भी लगायी है। वही इस पूरे मामले में प्रभारी सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग आशीष अनुपम टोप्पो का कहना है कि प्रशासन के द्वारा लाचार माता-पिता का इलाज कराया जायेगा, बच्ची को अच्छी शिक्षा दी जायेगी ताकि उसकी शिक्षिका बनने का सपना पूरा हो सके साथ ही परिवार की हर सम्भव मदद भी की जायेगी।

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