Jashpur Snakebite Case: छत्तीसगढ़ का नागलोक बना ये जगह… जहां सांपों के डसने से 14 मौतें, अब बनेगा स्नैक पार्क, जानकर रह जाएंगे हैरान

छत्तीसगढ़ का नागलोक बना ये जगह...Jashpur Snakebite Case: This place became the Naglok of Chhattisgarh... where 14 people died due to snake

  • Reported By: Jitendra Soni

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  • Publish Date - June 8, 2025 / 02:53 PM IST,
    Updated On - June 8, 2025 / 02:53 PM IST

Jashpur Snakebite Case | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • पत्थलगांव, फरसाबहार और तपकरा क्षेत्र "नागलोक" के नाम से जाना जाता है,
  • हर साल बड़ी संख्या में सर्पदंश के मामले सामने आते हैं,
  • यहां सांपों की 40 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं,

पत्थलगांव: Jashpur Snakebite case:  छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले को नागलोक के नाम से चर्चित पत्थलगांव, फरसाबहार, तपकरा, प्रत्येक वर्ष सर्पदंश के मामले सामने आता है। यहां सांपों की 40 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं 2024 से अप्रैल 25 तक 525 मामले में 14 लोगों की मौत हुई थी। यहां प्रत्येक वर्ष दूसरे जिले के अपेक्षा यहां सबसे अधिक सर्पदंश के मामले सामने आता है।

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Jashpur Snakebite case:  जशपुर का तपकरा इलाका सांपों के लिए और भी प्रसिद्ध है। फरसाबहार तहसील से लगे इलाके को नागलोक के नाम से जाना जाता है। यहां 40 से अधिक प्रजातियों का सांप पाए जाते है जिसमे पांच प्रकार के सांप बेहद ही जहरीले होते है बारिश होते ही बरसात के दिनों में जमीन पर रेंगने वाले जहरीले जीव जन्तुओ एक्टिव हो जाते है अधिकांश मात्रा में ज़हरीले सांपों में कॉमन करेंत, कोबरा,बैंडेड करैत शहरों या ग्रामीणों इलाको के घरों या फिर घरों से आसपास देखने को मिलता है। फरसाबहार में अधिक मात्रा में सांप पाए जाने के सीएम विष्णु देव साय ने यहां बड़े पैमाने पर स्नैक पार्क बनाने की भी घोषणा किया था जिसको लेकर जिला प्रशासन के द्वारा स्नैक पार्क के लिए सर्वे किया जा रहा है और जल्द ही स्नैक पार्क बनाया जाएगा।

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Jashpur Snakebite case:  जशपुर जिले में अधिकतर सर्पदंश से मौत जागरूकता की कमी के कारण होता है लोग सांप के काटने पर ओझा बैगा के चक्कर में आकर अपना समय गवां देते है और काफी देर से हॉस्पिटल पहुंचने के वजह से उनकी जान चली जाती है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लगातार यह सर्पदंश को लेकर जागरूकता अभियान भी समय समय चलाया है ताकि इस जागरूकता अभियान के जरिए लोग सर्पदंश को लेकर जागरूक हो और सांप के काटने के बाद समय रहते हॉस्पिटल पहुंच पाए और उनकी जान बच सके। जशपुर जिले में अधिकतर सर्पदंश के मामले बरसात के दिनों में ही होते है। यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों में लोग आज जमीन पर सोते है और जहरीले सर्पदंश का शिकार हो जाते है।

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Jashpur Snakebite case:  इधर सर्पमित्रो के द्वारा भी लोगो को सोशल मीडिया के द्वारा और ग्रामीणों इलाको में सांप पकड़ने के दौरान की सर्पदंश के बचने के लिए ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। अब धीरे धीरे लोग सर्पदंश को लेकर जागरूक हो रहे है यही कारण है कि सर्पदंश के मामले में कमी देखने को मिल रही है । स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार पिछले वर्ष 2024 में पूरे जिले में 525 सर्पदंश के मामले आए थे जिसमे 14 लोगों की मौत लेट से हॉस्पिटल पहुंचने के कारण मौत हुई थी और बाकियों को सकुशल सुरक्षित बचाया गया है।

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Jashpur Snakebite case:  इस वर्ष की बात करे तो अप्रैल से लेकर अब तक 56 दर्शदंश के मामले आए है जिसमे दो लोगों की मौत हुई बाकी सभी 54 लोग पूरी तरह से स्वास्थ्य होकर अपने घर लौटे है इधर सीएमएचओ जी.एस.जात्रा ने बताया कि पूरे जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में स्नैक एंटीवेनम पर्याप्त मात्रा में है चाहे वह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र या फिर जिला चिकित्सालय हो और यहां के सभी डॉक्टर्स सर्पदंश को लेकर एक्सपर्ट है।

"सर्पदंश के लक्षण" क्या होते हैं और कैसे पहचानें?

सर्पदंश के प्रमुख लक्षणों में सूजन, दर्द, चक्कर आना, सांस लेने में दिक्कत, और बेहोशी शामिल हैं। यदि ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत हॉस्पिटल जाएं।

"स्नैक एंटीवेनम" कहां मिलता है?

जशपुर जिले के सभी प्राथमिक, सामुदायिक और जिला स्वास्थ्य केंद्रों में स्नैक एंटीवेनम उपलब्ध है।

"ओझा बैगा के इलाज" की जगह हॉस्पिटल क्यों जरूरी है?

ओझा बैगा झाड़-फूंक करते हैं, जबकि हॉस्पिटल में वैज्ञानिक इलाज और एंटीवेनम मिलता है, जिससे जान बचाई जा सकती है। समय पर इलाज न मिलने से मौत हो सकती है।

"बरसात में सर्पदंश" के मामले क्यों बढ़ते हैं?

बरसात के मौसम में सांप नमी वाले स्थानों पर निकलते हैं, और लोग अक्सर जमीन पर सोते हैं, जिससे सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

"स्नैक पार्क" बनने से क्या फायदा होगा?

स्नैक पार्क से सांपों के संरक्षण, जागरूकता, रिसर्च और सांप पकड़ने के प्रशिक्षण जैसे कार्य होंगे, जिससे सर्पदंश की घटनाएं घटेंगी और लोगों में जागरूकता बढ़ेगी।