लाल गैंग का मिशन ‘विदेश’। नया पैंतरा..कितना बड़ा खतरा?

लाल गैंग का मिशन 'विदेश'। नया पैंतरा..कितना बड़ा खतरा? Lal Gang's mission 'Videsh'. New maneuver.. How big a threat?

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  • Publish Date - November 12, 2021 / 11:14 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:14 PM IST

भोपालः देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या तेजी से घट रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह है केंद्र और राज्य सरकारों का संयुक्त ऑपरेशन जिनकी मदद से लाल गैंग पर काफी हद तक नकेल कसने में सफल रही है फोर्स और इसी बौखलाहट में नक्सली अब खुद को मजबूत करने नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। आगामी 24 नवंबर इस अभियान की शुरूआत होगी। इसके तहत केंद्र सरकार की घेराबंदी करने विरोधियों को एकजुट करने मिशन विदेश शुरू करने जा रहा है लाल गैंग।
अब सवाल ये है कि लाल गैंग का ‘मिशन विदेश’ कितना खतरनाक है..और क्या इससे नक्सलियों की ताकत बढ़ेगी ?

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7 नवंबर को 2021 को माओवादियों के केंद्रीय कमेटी की ओर से जारी इस पत्र से साफ है कि लाल गैंग अब प्लान बी पर काम कर रही है। फोर्स के लगातार बढ़ते दबाव के बाद कमजोर पड़े नक्सलियों ने अपनी स्ट्रैटजी में बदलाव करते हुए मास मोबाइलेजशन का पैंतरा अपनाया है। केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए ऐलान किया है कि 24 नवंबर से विशेष अभियान चलाकर केंद्र सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन जुटाएगी।
इसके लिये माओवादियो के प्रमुख नेता कई देशों में सक्रिय होंगे। नई रणनीति के तहत माओवादी खास तौर पर केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त ऑपरेशन प्रहार-3 को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ले जाने की तैयारी में जुटे हैं।

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नक्सलियों की नई रणनीति ये भी है केंद्र सरकार के खिलाफ हो रहे कई विरोध प्रदर्शन की आड़ में अपने लिए भी समर्थन जुटाएंगे। जाहिर है इटली में कुछ सालों पहले भी अंतर्राष्ट्रीय भाईचारा कमेटी गठित की गई थी। माओवादियों की इस नई स्ट्रेटजी पुलिस की भी मुश्किल बढ़ाएगी। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी संगठनों से भी सैन्य अभियान को मजबूत करने के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकते हैं नक्सली।

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बहरहाल एक बात तो साफ है कि.. नक्सल मोर्चे में बहुत कुछ चल रहा है। फोर्स के बढ़ते दबाव के बावजूद नक्सली चुप नहीं बैठे हैं। वो अपनी जमीन मजबूत करने के लिये मिशन विदेश पर काम कर रहे हैं। जाहिर है अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन जुटाकर नक्सली अब अपने मूवमेंट को विस्तार देने की कोशिश कर रहे हैं। अब सवाल है कि इस अभियान से छत्तीसगढ़ के एंटी नक्सल मूवमेंट पर क्या असर पड़ने वाला है। क्या इससे नक्सलियों की ताकत में इजाफा होगा और सबसे बड़ा सवाल ये कि सरकार इसे कैसे काउंटर करेगी।