Dream India School changed its name and put the future of children in danger.
Dream India School in Mahasamund changed its name
महासमुंद। शिक्षा के केन्द्र (स्कूल) को लोग शिक्षा का मंदिर मानते है पर ये ही शिक्षा के केन्द्र अगर व्यापार का केन्द्र बन जाये तो आर्थिक रुप से कमजोर पालको का सपना अच्छे स्कूल में अपने बच्चो को पढाने का टूट जाता है। जी हां, ऐसा ही एक मामला महासमुंद जिले में सामने आया है। जहां ड्रीम इण्डिया स्कूल (Dream India School) ने राइट टू एजुकेशन के तहत बच्चों का एडमिशन लेकर कुछ सालों तक पढाया और इस वर्ष एकाएक स्कूल प्रबंधन ने स्कूल का नाम बदल दिया। जब स्कूल प्रबंधन (Dream India School) ने पालकों से फीस जमा करने की बात कही तो पालको के सामने मुश्किलें खडी हो गयी। पालक अब जिला शिक्षा अधिकारी से गुहार लगा रहे है, वही शिक्षा विभाग के आला अधिकारी नियमों का हवाला दे रहे है।
महासमुंद मुख्यालय मे सात- आठ वर्षों से ड्रीम इण्डिया स्कूल (Dream India School) संचालित है, जिसमें शासन की महत्वाकांक्षी योजना राइट-टू-एजुकेशन के तहत भी सैकड़ों बच्चों का एडमिशन हुआ है। वर्ष 2023-24 सत्र के लिए स्कूल प्रबंधन ने पालको के मोबाइल पर एक मैसेज भेजा। मैसेज मे लिखा था कि ड्रीम इण्डिया स्कूल (Dream India School) का नाम बदलकर क्यूरो स्कूल (Dream India School in Mahasamund changed its name to Curo School) कर दिया गया है। स्कूल की बिल्डिंग व प्रधानाचार्य एवं स्टाफ वही है । स्कूल खुलने की तारीख मैसेज द्वारा सूचित कर दिया जायेगा। अधिक जानकारी के लिए स्कूल से पता करे।
मैसेज के बाद आरटीई के तहत पढ़ने वाले बच्चो के पालक जब स्कूल पता करने गये तो उन्हे स्कूल प्रबंधन ने बताया कि ड्रीम इण्डिया स्कूल बंद हो गया। आपके बच्चो को केवल एक वर्ष तक ही इस नये संस्था मे फ्री में पढा पाएंगे। आगे आप लोगों को फीस जमा करना होगा। यह सुनकर पालक भड़क गये और शिक्षा विभाग जाकर गुहार लगा रहे है । पालको का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने हमलोगो के साथ धोखाधड़ी की है । बिना सूचना के स्कूल बंद हो जाने की बात कह रहे है जबकि मैसेज मे स्कूल का नाम बदलने की बात कही गयी थी । हम लोग रोज कमाते है रोज खाते है तो इतनी भारी भरकम फीस कैसे जमा कर पायेगे ।
नियमानुसार स्कूल बंद करने के तीन माह पहले स्कूल प्रबंधन को शिक्षा विभाग को सूचना देना पड़ता है और सारे दस्तावेज शिक्षा विभाग मे जमा करना होता है, जो ड्रीम इण्डिया स्कूल प्रबंधन द्वारा नही किया गया। इसी प्रकार नया स्कूल खोलने से पहले शिक्षा विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है, पर क्यूरो स्कूल प्रबंधन के द्वारा कोई अनुमति नही ली और बोर्ड लगाकर एडमिशन चालू कर दिया गया। जब इस संदर्भ मे मीडिया ने क्यूरो स्कूल प्रबंधन से सवाल किया तो गोल मोल जवाब देते नजर आये।
इस पूरे मामले मे जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल जाकर क्यूरो स्कूल का बोर्ड हटा दिया और ड्रीम इण्डिया स्कूल के सारे दस्तावेज जब्त कर ली, पर बच्चो के भविष्य का क्या होगा इसका जवाब उनके पास भी नही है। गौरतलब है कि थोक के भाव निजी स्कूलों को लाइसेंस शिक्षा विभाग द्वारा प्रदान कर दिया जा रहा है, पर स्कूल पर शिक्षा विभाग नियंत्रण रख पाने मे नाकाम है। यही कारण है कि कभी डालफिन नामक स्कूल ने पालको को ठगा और अब ड्रीम इण्डिया ने पालको को ठगा। क्यूरो स्कूल का क्या होगा ये आने वाला भविष्य ही बता पायेगा। फिलहाल स्कूल प्रबंधन व शिक्षा विभाग दोनो इन पालको को समुचित जवाब देने मे असमर्थ है। IBC24 से धनंजय त्रिपाठी की रिपोर्ट