Vishnu Ka Sushasan. Image Source- IBC24
रायपुरः Vishnu Ka Sushasan: छत्तीसगढ़ राज्य ने वर्ष 2025 में अपने गठन के 25 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। यह अवसर “रजत जयंती वर्ष” के रूप में पूरे राज्य में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह सिर्फ एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत, विकास की यात्रा और भविष्य की संभावनाओं का प्रतीक है। इस राज्य के गठन का मुख्य उद्देश्य यहां की जनजातीय और ग्रामीण जनता को उनकी सांस्कृतिक पहचान, संसाधनों पर अधिकार और विकास के बेहतर अवसर प्रदान करना था। छत्तीसगढ़ के इसके अनुरूप काम भी हुआ है। खासकर साय सरकार ने इस रजत जयंती वर्ष में जनजातीय और ग्रामीण जनता के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। यही वजह है कि प्रदेश में रजत जयंती वर्ष के खास मौके पर एक नई खुशहाली दिख रही है। चारों ओर नए उल्लास, उमंग के साथ छत्तीसगढ़ियों के नए ऊर्जा का संचार हो रहा है।
छत्तीसगढ़ का इतिहास, संस्कृति और समाज जनजातीय समुदायों से गहराई से जुड़ा हुआ है। राज्य के गठन के समय से ही जनजातीय समाज की उन्नति, उनकी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा और समावेशी विकास, राज्य की प्राथमिकताओं में प्रमुख रहे हैं। वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ को एक पृथक राज्य का दर्जा मिला, तब इसकी लगभग एक तिहाई आबादी आदिवासी समुदायों से संबंधित थी। लेकिन उस समय ये समुदाय गहरे सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन से जूझ रहे थे। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी ढांचे तक उनकी पहुंच सीमित थी। अब अब राज्य रजत जयंती वर्ष पर पहुंचा है तो छत्तीसगढ़ की सरकार इस दिशा में बेहतरीन काम कर रही है। साय सरकार आदिवासी समुदायों के आर्थिक-समाजिक विकास के लिए प्रतिबद्धता के साथ नवाचार को बढ़ावा दे रही है।
Vishnu Ka Sushasan: राज्य निर्माण से पहले आदिवासी अंचलों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी थी। सुदूर वनवासी क्षेत्रों तक सरकार की पहुंच बेहद सीमित थी। सड़कों का अभाव, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का न होना, और शिक्षा का नाम मात्र रह जाना, ये सभी समस्याएं इन समुदायों को मुख्यधारा से अलग-थलग बनाए हुए थीं। कई क्षेत्रों में आदिवासी अपनी पारंपरिक आजीविकाओं जैसे वनोपज संग्रहण और झूम खेती पर निर्भर थे, जिनसे उनकी आर्थिक स्थिति स्थिर नहीं रह पाती थी। सरकारी योजनाओं की जानकारी और पहुंच दोनों ही बेहद सीमित थीं, लेकिन साय सरकार इस दिशा में विशेष काम करते हुए बच्चों की शिक्षा के लिए कई विशेष काम किए। मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, पोटाकेबिन सहित अन्य योजनाएं संचालित है। वहीं स्वास्थ्य क्षेत्र में भी इसी तरह की कई योजनाएं संचालित है।
राज्य की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति (SC) वर्ग का लगभग 12–13% हिस्सा है। यह समुदाय लंबे समय तक सामाजिक भेदभाव, आर्थिक पिछड़ेपन और शिक्षा की कमी जैसी समस्याओं से पीड़ित रहा। राज्य निर्माण के बाद इस वर्ग की उन्नति के लिए कई प्रयास किए गए, जिनका असर अब दिखाई देने लगा है। राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुसूचित जातियों के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए। सबसे पहले, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में काम हुआ। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए निशुल्क पाठ्यपुस्तक, गणवेश, छात्रवृत्ति योजनाएं, आवासीय छात्रावास और कोचिंग सुविधाएं शुरू की गईं। इससे स्कूलों में दाखिले की संख्या बढ़ी और ड्रॉप-आउट दर में कमी आई। उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहन स्वरूप छात्रवृत्तियों का दायरा बढ़ाया गया। रजत जंयती वर्ष में साय सरकार ने इसे और बेहतर किया है। साय सरकार ने अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण बजट को 50 करोड़ से बढ़ाकर 75 करोड़ रुपये करने की स्वीकृति दी गई। साय सरकार ने गिरौधपुरी धाम के विकास के लिए 2 करोड़ रुपये, अजा वर्ग के विद्यार्थियों हेतु कोचिंग व्यवस्था के लिए 50 लाख रुपये, प्रत्येक वर्ष अनुसूचित जाति वर्ग के 5 युवाओं को पायलट प्रशिक्षण हेतु सहायता, तथा जोड़ा जैतखंभ के निर्माण में सीमेंट के साथ-साथ लकड़ी के उपयोग हेतु राशि स्वीकृत करने की घोषणा की। साथ ही, दिल्ली में संचालित ट्राइबल यूथ हॉस्टल में सीट संख्या बढ़ाकर 200 करने की जानकारी दी और विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु इसका लाभ लेने हेतु प्रेरित किया।
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