Maoist Couple Surrender: 13 लाख के इनामी नक्सली दंपत्ति ने किया सरेंडर, 25 साल बाद छोड़ा हथियार, संगठन में संभालते थे ये जिम्मेदारियां, पुलिस के सामने खोले राज

13 लाख के इनामी नक्सली दंपत्ति ने किया सरेंडर, 25 साल बाद छोड़ा हथियार...Maoist Couple Surrender: Naxal couple with a reward of 13 lakhs

Maoist Couple Surrender | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • 13 लाख के इनामी नक्सली दंपत्ति ने किया आत्मसमर्पण,
  • 25 साल बाद छोड़ा हथियार,
  • सरकार की नीति से हुए प्रभावित,

मोहला-मानपुर: जिला पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है जहां लम्बे समय से सक्रिय इनामी नक्सली दंपत्ति ने आत्मसमर्पण किया है। ये तेरह लाख के इनामी नक्सली दम्पति है जो कई सालों से नक्सली गतिविधियों में शामिल थे। जिसकी जिला पुलिस और सुरक्षा बलों को लंबे समय से इनकी तलाश थी।

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राजनांदगाव रेंज पुलिस महानिर्देशक अभिषेक शांडिल्य व मोहला मानपुर पुलिस अधीक्षक यशपाल सिंह के निर्देशन में जिले में चलाए जा रहे माओवादी उन्मुलन अभियान के तहत् व छत्तीसगढ़ शासन की नई पुनर्वास एवं आत्मसमर्पण निति योजना से प्रभावित होकर नक्सली जीवन उर्फ़ राम तुलावी व अगासा उर्फ़ आरती कोर्राम ने जिला पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्म समर्पण किया है।

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सरकार द्वारा चलाई जा रही नीति के तहत दम्पतियों को पचास पचास हजार दिया गया! आत्म समर्पित नक्सली दंपत्ति तेरह लाख के इनामी नक्सली थे। नक्सली दंपत्ति जीवन मोहला थाना के परवीडीह व अगसा ग्राम तेलीटोला की निवासी है। बता दे नक्सल दंपत्ति 25 साल से माओवादी संगठन मे सक्रिय रहे है! जहाँ जीवन माड़ क्षेत्र मे सक्रिय डिवीसीएम व अगासा एसीएम पद के सक्रिय सदस्य थे। जिनमे से नक्सली जीवन माड़ मे नक्सलीयों के स्कूल मे पढ़ाने का काम करते था। जिसका उदेश्य माड़ क्षेत्र के लगभग सभी गावो मे घूमघूम कर नक्सली संगठन के सदस्यों को नक्सली विचार धारा से जोड़ना था। वही अगासा नक्सलीयों के चेतना नाट्य मंच की अध्यक्ष थी।

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आईजी ने बताया कि नक्सली दम्पती ने जिला पुलिस अधिक्षक के सामने आत्म समर्पण किया है। जिसमे डीव्हीसीएम जीवन आठ लाख और उनकी पत्नी एसीएम अगासा पाँच लाख के इनामी नक्सली थे। जिन्हे शासन कि नीति के तहत घोषित प्रोत्साहन राशि पचास पचास हजार रूपए तत्काल दिया गया। वही आईजी ने कहा हमारा प्रयास है कि शासन कि इस नीति के तहत नक्सली समर्पण करें या जो आपरेशन चल रहा है उसे फेस करें। नक्सली दम्पतियों का यह आत्मसमर्पण उन नक्सलियों के लिए है जो वापस मुख्य धारा से जुड़ना चाहते है।

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वही आत्मसमर्पण किए नक्सली ने कहा कि व बस्तर सहित अन्य जिलों मे सुरक्षा बल द्वारा लगातार प्रहार के डर व छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर एसपी के सामने हथियार छोड़ आत्म समर्पण किए! हम निवेदन है कि नक्सली साथी हथियार छोड़कर मुख्य धारा से जुड़े।

"नक्सली आत्मसमर्पण" से जुड़ी छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति क्या है?

छत्तीसगढ़ सरकार की "नक्सली आत्मसमर्पण" नीति का उद्देश्य माओवादियों को मुख्यधारा में लाकर उन्हें समाज में पुनः स्थापित करना है। इसमें आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता, सुरक्षा, शिक्षा, और रोजगार के अवसर दिए जाते हैं।

"नक्सली आत्मसमर्पण" के बाद आत्मसमर्पितों को कितनी प्रोत्साहन राशि मिलती है?

इस नीति के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को उनकी भूमिका और दर्जा अनुसार 50,000 रुपये या उससे अधिक की प्रोत्साहन राशि तुरंत दी जाती है। जैसे इस मामले में जीवन और अगासा को 50,000-50,000 रुपये मिले हैं।

क्या "नक्सली आत्मसमर्पण" के बाद कानूनी कार्रवाई होती है?

अगर आत्मसमर्पण स्वेच्छा से और बिना शर्त के होता है, तो पुनर्वास नीति के तहत उन्हें कानूनी संरक्षण और कुछ मामलों में छूट भी दी जाती है, बशर्ते उन्होंने गंभीर अपराधों में भाग न लिया हो।

"नक्सली आत्मसमर्पण" क्यों बढ़ रहे हैं?

इसके पीछे मुख्य कारण हैं – सुरक्षा बलों का दबाव, जंगलों में निरंतर ऑपरेशन, और छत्तीसगढ़ सरकार की मानवीय पुनर्वास नीति, जो माओवादियों को समाज में पुनः स्थापित होने का अवसर देती है।

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली आगे क्या करते हैं?

"नक्सली आत्मसमर्पण" के बाद व्यक्ति को सरकार द्वारा स्कूलिंग, प्रशिक्षण, रोजगार और सुरक्षा जैसी सुविधाएं दी जाती हैं ताकि वे सामान्य जीवन जी सकें।