छत्तीसगढ़ में भी शुरू हुई ‘नामकरण पॉलिटिक्स’ ! विपक्ष ने की तारीफ, लेकिन बोल दी यह बड़ी बात

Naming politics started in Chhattisgarh: हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चंद्रखुरी का नाम कौशल्या माता धाम चंद्रखुरी, गिरोधपुरी का नाम बाबा घासीदास धाम गिरौदपुरी और सोनाखान का नाम शहीद वीर नारायण सिंह धाम सोनाखान किए जाने की घोषणा की है

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  • Publish Date - August 2, 2022 / 04:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST

Naming politics started in Chhattisgarh

Naming politics started in Chhattisgarh: रायपुर। छत्तीसगढ़ में भी अब नाम बदलने की परंपरा शुरू हो गई है, वहीं इसको लेकर इन दिनों सियासत भी गरमा रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चंद्रखुरी का नाम कौशल्या माता धाम चंद्रखुरी, गिरोधपुरी का नाम बाबा घासीदास धाम गिरौदपुरी और सोनाखान का नाम शहीद वीर नारायण सिंह धाम सोनाखान किए जाने की घोषणा की तो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने इसे उचित निर्णय कहा । इस पर मुख्यमंत्री ने तंज कसा है कि वो ऐसा नहीं कर पाए इसलिए तारीफ तो करेंगे ही ।

बता दें कि उत्तर प्रदेश सहित देश के कई शहरों और ऐतिहासिक भवनों का नाम बदले जाने का विरोध करने वाली कांग्रेस पार्टी के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक जगहों चंद्रखुरी, गिरोधपुरी और सोनाखान का नाम बदल दिया है । इसके बाद से छत्तीसगढ़ में इसको लेकर सियासत और टीका टिप्पणी शुरू हो गई है । हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चंद्रखुरी का नाम कौशल्या माता धाम चंद्रखुरी, गिरोधपुरी का नाम बाबा घासीदास धाम गिरौदपुरी और सोनाखान का नाम शहीद वीर नारायण सिंह धाम सोनाखान किए जाने की घोषणा की है

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Naming politics started in Chhattisgarh: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय उचित कहा है साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि यह बदले की राजनीति है, वैसे भी नाम बदलने से कुछ नहीं होगा, काम करके दिखाना होगा । उनका कहना है कि हम नाम बदलने का विरोध नहीं करते पर काम करके दिखाना होगा ।

इधर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस पर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब भी नाम परिवर्तन की बात आती है, जो भी स्थान और योजना जिसके नाम पर है उसको परिवर्तन करने के बजाए सरकार को नया सृजन, नया संरचना करना चाहिए और उसके आधार पर उसका नाम रखना चाहिए। उस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। महापुरुषों का नाम रखने में भी कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जब केंद्र सरकार नाम परिवर्तन करती है, तब यही सरकार उस पर सीधे आरोप लगाती है। ऐसे में राज्य सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि जब केंद्र नाम रखे तो आप विरोध कर रहे हैं और खुद राज्य में नाम बदल रहे हैं।

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इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तंज कसते हुए कहा कि वो ऐसा नहीं कर पाए इसलिए तारीफ तो करेंगे ही । कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने तो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय को धन्यवाद और बधाई देते हुए कहा कि सोनाखान, गिरोधपुरी और चंदखुरी के नाम से महापुरुषों और कौशल्या माता का नाम जुड़ने से छत्तीसगढ़ के लोगों का सम्मान ही बढेगा। कुछ नाम ऐसे हैं जिनका छत्तीसगढ़ की धरती और यहां की आजादी में कोई योगदान नहीं था उनके नाम से छत्तीसगढ़ की बड़ी संस्थान का नाम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने रखा था। छत्तीसगढ़ के लोगों ने उसका विरोध किया था लेकिन छत्तीसगढ़ की विभूतियों के नाम से अगर नामकरण किया जा रहा है तो इसका स्वागत करना ही चाहिए ।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिस तरह से गिरोधपुरी, सोनाखान और चंद्रपुरी के नाम के साथ छत्तीसगढ़ के महापुरुषों और कौशल्या माता का नाम जोड़ा है भारतीय जनता पार्टी का तारीफ करना उसकी मजबूरी है क्योंकि इसका विरोध यानी जन भावनाओं का विरोध । इसके बावजूद नामकरण को लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीति और टीका टिप्पणी तो शुरू हो गई है और जिस तरह के आसार दिख रहे हैं उससे कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में नामकरण की राजनीति छत्तीसगढ़ में और गरमाएगी ।