(रिपोर्टः सौरभ सिंह परिहार) रायपुरः 16 जुलाई को बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी ने रेवड़ी कल्चर को देश के विकास के लिए घातक बताया तो पूरे देश में मुफ्त रेवड़ी पर जोरदार सियासत हुई। RBI की रिपोर्ट भी बताती है कि राज्य सरकारें मुफ्त की योजनाओं पर खर्च कर कर्ज के जाल में फंसती जा रहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट भी राजनीति में मुफ्त वाली योजनाओं पर आपत्ति जता चुका है। इसी बीच छत्तीसगढ़ में रेवड़ी कल्चर पर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं।
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मुफ्त की रेवड़ी कल्चर पर छत्तीसगढ़ में सियासत गर्म हो चली है। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो रहा है। लड़ाई की शुरूआत बुधवार को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान हुई। जब कृषि मंत्री रविंद्र चौबे राजीव गांधी किसान न्याय योजना की उपलब्धि गिना रहे थे। तब बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने मुफ्त रेवड़ी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई को इंगित किया। तब कृषि मंत्री ने कहा कि बीजेपी राजीव गांधी किसान न्याय योजना को मुफ्त की रेवड़ी बताने की कोशिश कर रही है. अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसे दुर्भाग्यजनक बताया है।
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जाहिर है छत्तीसगढ़ सरकार किसान, मजदूर आदिवासी और स्व सहायता समूह वर्गों के बैंक अकाउंट में आए दिन कई योजनाओं के मद्देनजर राशि ट्रांसफर करती है. इसमें सबसे ज्यादा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 22 हजारकरोड़ की राशि किसानों को मिली है। इन योजनाओं को लेकर मुख्यमंत्री कई बार कह चुके हैं कि हम लोगों के जेब में पैसा डालते हैं और केंद्र सरकार लोगों के जेब में डाका डालती है। हालांकि बीजेपी का दावा है कि इस तरह की राजनीति ज्यादा दिनों तक चलने वाली नहीं है. मुफ्त की रेवड़ी बांटने से राज्य पर कर्ज का भार लगातार बढ़ रहा है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुफ्त में रेवड़ी बांटने वाले बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गंभीर मुद्दा बताया। फिलहाल छत्तीसगढ़ बीजेपी भी राज्य की कांग्रेस सरकार पर रेवड़ी बांटने जैसे आरोप लगा रही है। इस पर कांग्रेस का कहना है कि हम राज्य के हर वर्ग के मेहनत का सम्मान करते हुए योजना बनाकर राहत दे रहे है। सियासी आरोप प्रत्यारोप से इतर जनता ही इस बात का निर्धारण करे कि छत्तीसगढ़ में योजनाओं के नाम पर मुफ्त की रेवड़ी बंट रहीं है?