शराब पर ‘पिकअप’ लेती सियासत! क्या भाजपा ने 2023 के लिए तय कर लिया अपना चुनावी एजेंडा?

शराब पर 'पिकअप' लेती सियासत! क्या भाजपा ने 2023 के लिए तय कर लिया अपना चुनावी एजेंडा? Politics taking 'pickup' on alcohol! Have you decided your election agenda for 2023?

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  • Publish Date - February 16, 2022 / 11:25 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:58 PM IST

(रिपोर्टः सौरभ सिंह परिहार) रायपुरः प्रदेश में करीब डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन राजनीतिक पार्टियां अभी से चुनावी एजेंडे की तलाश में जुट गई है। खासतौर पर 2018 में करारी शिकस्त झेलने वाली बीजेपी के लिए चुनौती ज्यादा है, क्योंकि वो विपक्ष में है। हालांकि धान, किसान और धर्मांतरण जैसे मुद्दों को उठाती रही है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से बीजेपी नेता जिस मुद्दे को लेकर सबसे ज्यादा मुखर हैं, वो शराब और शराबबंदी का मुद्दा है। ऐसे में सवाल यही है कि 2023 के लिए बीजेपी ने अपना चुनावी एजेंडा तय कर लिया है।

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राज्यसभा सांसद और बीजेपी के दिग्गज नेता रामविचार नेताम का कहना है कि छत्तीसगढ़ के शराब में बिल्कुल भी पिकअप नहीं है। उन्होंने राज्य से मदिरा प्रेमियों का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में मिलने वाली शराब की क्वालिटी बेहद स्तरहीन है। ज्यादा पीने के बावजूद नशा नहीं हो रहा है।

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शऱाब की खराब क्वालिटी के बहाने बीजेपी सांसद ने राज्य सरकार पर निशाना साधा तो सत्ता पक्ष की तरफ से जवाब देने खुद आबकारी मंत्री सामने आए। उन्होंने बीजेपी नेता के आरोपों को बेबुनियाद बताया और दावा किया कि छत्तीसगढ़ में कहीं भी नकली शराब नहीं बिकती। आबकारी मंत्री तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी शासित राज्यों में नेताम को शराब चखने की जिम्मेदारी देनी चाहिए। जहां नकली शराब पीने से कई लोगों की मौत हुई।

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वैसे छत्तीसगढ़ में शराब के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप की सियासत नयी नहीं है। कुछ दिन पहले ही पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने शराबबंदी को लेकर साफ-साफ कहा था कि राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में शराबबंदी नहीं हो सकती। जिसका भूपेश बघेल ने भी समर्थन किया था और हकीकत ये भी है कि कांग्रेस अपने घोषणापत्र में इन क्षेत्रों में शराबंबदी ग्राम सभाओं की अनुमति के बाद कही थी। लेकिन बीजेपी इस मुद्दे पर राज्य सरकार को लगातार घेरना चाहती है। इसी कड़ी में बीजेपी सांसद ने नकली शराब बेचने का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा है। फिलहाल कांग्रेस-बीजेपी के बीच ये जुबानी जंग 2023 तक चलती रहेगी ये तय है। लेकिन जनता इस बयानबाजी को कैसे देखती है, ये अहम है।