रायगढ़। अपने सामाजिक सरोकारो को निभाते हुए IBC24 समाचार चैनल हर साल स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप सम्मान से जिले की टॉपर बेटियों को सम्मानित करता है। इस साल भी IBC24 समाचार चैनल की ओर से स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप दिया जा रहा है। IBC24 की ओर से दी जाने वाली स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप केवल टॉपर बेटियों को ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक संभाग के टॉपर बेटों को भी दी जाएगी। इस खास मौके पर हम आपको रायगढ़ जिले के एक ऐसे स्कूल के बारे में जानकारी दे रहे हैं जहां अब तक सबसे ज्यादा टॉपर बच्चे दिए हैं।
रायगढ़ जिले के पुसौर ब्लॉक मुख्यालय में स्थित आदर्श ग्राम्य भारती स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में नित नए सोपान गढ़ रहा है। समूचे छत्तीसगढ़ में टॉप-10 में अपना स्थान बनाने वाली छात्रा कुंती साव इसी विद्यालय की छात्रा है। कुंती ने माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा जारी शीर्ष-10 विद्यार्थियों में अपना स्थान बनाया है। साथ ही कुंती ने इसी विद्यालय में पढ़ाई करके राज्यभर में छात्राओं में टॉप किया है। रायगढ़ के पुसौर नगर में स्थित यह विद्यालय 1991 में प्रारंभ किया गया था। आज इस विद्यालय को जिले के पुराने प्रतिष्ठित विद्यालयों में गिना जाता है। 31 वर्षों से संचालित इस विद्यालय में पुसौर नगर के अलावा ब्लॉक क्षेत्र में पड़ने वाले अनेक गांवों में से 40 से अधिक गांवों के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। आदर्श ग्राम्य भारती विद्यालय को पुसौर के सबसे पुराने स्कूल का सम्मान प्राप्त है। यहां से शिक्षा सत्र 2016-17 से लेकर वर्तमान शिक्षा सत्र 2021-22 तक लगातार कोई न कोई विद्यार्थी माध्यमिक शिक्षा मंडल की टॉप-10 की सूची में शामिल रहा है। शिक्षा सत्र 2016-17 में आदर्श ग्राम्य भारती स्कूल के 3 बच्चों ने शीर्ष-10 की सूची में स्थान बनाया था। इसके अगले साल शिक्षा सत्र 2017-18 में 1 बच्चे ने शिक्षा सितारों की शीर्ष छात्रों की सूची में स्थान बनाया था। शिक्षा सत्र 2018-19 में भी 1 विद्यार्थी ने टॉप किया था। इसके बाद के वर्ष में यहां से 3 बच्चों ने टॉपर में जगह बनाई। विद्यालय अपने शिक्षकों की सतत मेहनत, विजन, लगन के बूते पर ऊंचाइयां छू रहा है। पुसौर नगर व ब्लॉक क्षेत्र में आदर्श ग्राम्य भारती स्कूल एक प्रतिष्ठत नाम है। विद्यालय के प्राचार्य धनश्याम साहू बताते हैं, विद्यालय में वर्तमान में 1060 बच्चे विभिन्न कक्षाओं में अध्ययनरत हैं। विद्यालय की पहचान पढ़ाई और टॉपर विद्यार्थियों के विद्यालय के रूप में स्थापित है।
क्योंकि बेटियां समाज की धुरी हैं। क्योंकि बेटियां हमारी आत्मा हैं। क्योंकि इनकी उन्नति ही समग्रता में समाज की उन्नति है। क्योंकि बेटियां ही हमारी शोभा हैं। क्योंकि बेटियां ही रचनात्मकता हैं। क्योंकि बेटियां ही देवियां हैं। क्योंकि बेटियां ही इस सृष्टि की सृजनाएं हैं। क्योंकि बेटियां ही प्रकाश हैं। क्योंकि बेटियां ही उन्न्ति की प्रतीक हैं।
मेधा के पीछे की सोच इन्हीं सब भावों के रेशों से बुनी गई है। हमारा मकसद है उन बेटियों को प्रेरणा व प्रोत्साहन मिलना चाहिए जो अपनी मेधा और बौद्धिक क्षमता का भरपूर उपयोग करके जीवन निर्माण की ओर बढ़ना चाहती हैं। हम चाहते हैं वे बेटियां किसी अवरोध के चलते न पिछड़ें। वे अपने सपनों को साकार करने में अकेला महसूस न करें। एक जिम्मेदार मीडिया समूह होने के नाते यह हमारा पहला दायित्व है कि हम समाज निर्माण की हर कोशिश और पहल की नींव डालें। ऐसी कोशिशों को आगे बढ़ाएं। जब एक बेटी पढ़ती है तो पूरा परिवार पढ़ा-लिखा होता है। जब एक बेटी आगे बढ़ती है तो पूरा समाज आगे बढ़ता है। इसीलिए बेटियों को सनातन संस्कारों में देवी, कन्या कहा गया है।
मेधा इसी बात को साकार करने का नाम है। हमे एक सामचार समूह के साथ-साथ इस पहल में जो आत्मिक संतोष मिलता है वह अनिर्वाचनीय है। जब हम देखते हैं कोई बेटी वंचित घर, परिवार से भी अपने मेधा का प्रकाश दूर-दूर तक फैलाती है तो हमारा मेधा बनाने का उपक्रम सफल होता है। जब कोई बेटी अपने मजदूर पिता के झुके आर्थिक कंधों को मजबूत करने शिक्षा का दिया जलाती है तो हमारा मेधा बनाने का प्रयास सफल लगता है। जब कोई बेटी बस्तर जैसे जीवन संघर्ष जंगलों से कोसों पैदल चलकर विद्या ग्रहण करती है तो हमारा मेधा बनाने का कर्म सुफल होता है। यह संतोष, यह तृप्ति बखानी नहीं जा सकती।
मेधा इसीलिए है… हर वर्ष, हर कामयाब बेटी के साथ, हर कामयाबी के साथ और हर कामयाब नवाचार के साथ। मेधा इसलिए…।