In view of the tussle for admission in RTE quota, seats will be allotted through lottery
रायगढ़। जिले में कोरोना काल के बाद तकरीबन 17 स्कूल बंद हो गए हैं। राज्य शासन ने आरटीई के तहत दाखिले का नियम भी बदल दिया है। ऐसे में स्कूलों में आरटीई कोटे में एडमिशन के लिए मारामारी की स्थिति है। जिले में आरटीई कोटे की सीटें कम होने की वजह से दाखिले के लिए पहली बार सीटों की तुलना में दो गुना अधिक आवेदन आए हैं। दाखिले को लेकर पैरेन्टस भी पशोपेश में हैं।
दरअसल राज्य शासन ने इस बार स्कूल की प्रारंभिक कक्षा में दर्ज संख्या की 25 फीसदी सीटों पर आरटीई के तहत दाखिला देने का नियम बनाया है। कोरोना काल के बाद जिले में 17 निजी स्कूल भी बंद हुए हैं। आलम ये है कि जिले में आरटीई की सीटों में 40 फीसदी तक की कमी आई है। बीते साल जिले में जहां आरटीई कोटे की 4200 सीटें थी, तो वहीं इस बार सीटें घटकर 2753 हो गई हैं। आलम ये है कि इन सीटों पर दाखिले के लिए मारामारी मची हुई है। अब तक 2753 सीटों के लिए 5200 से अधिक बच्चों के आवेदन आ चुके हैं।
खास बात ये है कि बीते साल की तरह इस साल भी आत्मानंद स्कूलों में दाखिले की सबसे अधिक डिमांड है। पैरेन्ट्स का कहना है कि आरटीई कोटे की सीटें कम होने से दाखिले में दिक्कतें आ रही है। कई कई पैरेन्ट्स ने एक से अधिक आवेदन भी किया है। ऐसे में इस बार दाखिले के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। पालक संघ का कहना है कि कुछ स्कूलों ने अल्पसंख्यक स्कूल का दर्जा दिखाकर खुद को आरटीई के दायरे से बाहर दर्शाया है। अगर प्रशासन जांच कर आरटीई कोटे में वृद्धि करे तो दाखिले में दिक्कतें नहीं आएंगी।
इधर अधिकारियों का कहना है कि नए नियम के तहत किसी भी स्कूल की प्रारंभिक कक्षा के 25 फीसदी सीट पर ही आरटीई के तहत दाखिला दिया जाना है। लिहाजा आरटीई कोटे की सीटें कुछ कम हुई हैं। आत्मानंद स्कूलों के खुलने के बाद आरटीई मे दाखिला कम हुआ है। से में एडमिशन के लिए अधिक मारामारी नहीं होगी। आवेदन अधिक आने पर लाटरी के तहत सीटों का आवंटन किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि आरटीई को लेकर जिस तरह से रुझान है इस साल सीटें खाली नहीं रहेंगी।