CG Ki Baat| Photo Credit: IBC24
रायपुर। आज पूरे देश में छत्तीसगढ़ में पड़े छापे के खबर की चर्चा रही। इसकी वजह है, सोमवार को पूर्व सरकार के मुखिया, कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व CM भूपेश बघेल के घर ED टीम का पहुंचना। पिछली सरकार के वक्त हुए शराब घोटाला केस, जिसमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पहले से ED की गिरफ्त में हैं, उनसे पूछताछ के बाद ED ने पूर्व CM भूपेश और उनके करीबियों के दर्जनभर ठिकानों पर दबिश दी। ED के ताबड़तोड़ छापों ने यहां जैसे तूफान ला दिया। सवाल ये है कि घोटालों की कोख से उपजी ये सियासत आखिर किस नए अंजाम की पटकथा लिखेगी?
सोमवार सुबह छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम, AICC महासचिव भूपेश बघेल, उनके बेटे चैतन्य समेत बघेल के करीबियों के तकरीबन 14 ठिकानों पर सुबह 7 बजे से ED की अलग-अलग टीमों ने छापेमार कार्रवाई की। भारी संख्या में तैनात फोर्स के बीच ED टीम ने पूर्व CM भूपेश और उनके बेटे से घंटों पूछताछ की। बाहर, छापे की खबर आग तरह फैली, बड़ी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता भूपेश के घर के बाहर जमा हो गए। इधर, विधानसभा में भी कांग्रेसी विधायकों ने ED एक्शन के खिलाफ जमकर हंगामा किया।
विपक्ष का आरोप है कि, उन्हें दबाने, सियासी तौर पर दबाव बनाने के लिए ED-IT जैसी जांच ऐजेंसियों का इस्तेमाल कर द्वेषपूर्ण एक्शन लिया जा रहा है। इधर, सत्तापक्ष का कहना है कि, पिछली सरकार के घोटाले जगजाहिर हैं, उनके खिलाफ तथ्य मिलते जा रहे हैं सो जांच ऐजेंसियां अपना काम कर रही हैं। अगर कांग्रेस नेताओं ने कुछ गलत नहीं किया तो फिर इतनी छटपटाहट, बौखलाहट क्यों हैं?
पिछली सरकार पर, शराब घोटाला, कोल घोटाला, महादेव सट्टा एप घोटाला, DMF घोटाले जैसे बड़े घोटालों के गंभीर आरोप हैं। सभी में जांच और एक्शन जारी है, फैक्ट ये है कि पूर्ववर्ती भूपेश सरकार में दर्जन भर करीबियों,पूर्व अधिकारियों, पूर्व मंत्री, विधायक के बाद अब पूर्व CM उनके और उनके परिवार तक जांच की आंच पहुंच चुकी है। उसपर विपक्ष के रवैये को लेकर कुछ गंभीर सवाल हैं, जैसे घोटालों के आरोपों पर बार-बार विपक्ष जांच और कार्रवाई की चुनौती देता है, लेकिन जांच हो तो, कार्रवाई हो तो विरोध का झंडा उठाकर विक्टिम कार्ड भी खेलता है।
सोमवार को भी जांच ऐजेंसियों के छापे के दौरान कांग्रेसी विधायकों का सदन छोड़कर प्रदर्शन करना, आते-जाते ED वाहनों को रोककर हंगामा करना गंभीर सवाल उठाता है। सबसे बड़ा सवाल है क्या संविधान की रक्षा की दुहाई देने वाली कांग्रेस को चुनाव पर, पुलिस पर, जांच ऐजेंसियों पर यानि किसी भी संवैधानिक व्यवस्था पर कोई भरोसा नहीं है?