Reported By: Rajesh Raj
,रायपुर। supply of medical equipment through CGMSC cancelled छत्तीसगढ़ में दवा खरीदी के लिए बनी संस्था छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन, सीजीएमएससी को लेकर साय सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। स्वास्थ विभाग ने साल 2017-18 के बाद किए गए रेट कांट्रैक्ट के आधार पर की जाने वाली सारी सप्लाई के टेंडर ऑर्डर निरस्त कर दिए हैं। इस एक आदेश से करीब 100 करोड़ का टेंडर खत्म हो गया है। सरकार इसे सीजीएमएससी की क्लीनिंग और केंद्र सरकार की मंशा अनुरूप जेम्स पोर्टल से खरीदी की दिशा में बड़ा कदम बता रही है।
साल 2008-09 में छत्तीसगढ़ में उछले कलर डॉप्लर मशीन खरीदी घोटाले की गूंज शायद आपको याद होगी। तब छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में दवा, मशीन और दूसरी चीजों में खरीदी घोटालों का जो बवंडर फूटा, उसने सरकार को हिला डाला था। उसके बाद मेडिकल उपकरणों से लेकर दवा खरीदी के लिए केंद्रीयकृत व्यवस्था तैयार की गई और सीजीएमएससी का गठन किया गया। मंशा थी कि एक साथ बल्क में खरीदी होने से कम दर, बेहतर क्वालिटी और प्रतिस्पर्धा के साथ खरीदी पूरी की जाएगी, लेकिन हुआ उल्टा।गठन के कुछ सालों बाद ही ये संस्था घोटालों और भ्रष्टाचार में आकंठ डूब गई।
इसी महीने आई कैग रिपोर्ट बताती है, कि गठन से लेकर अब तक क्रय नियम नहीं बन सका। जितनी जरुरत है, उतनी दवाओं का रेट कांट्रेक्ट नहीं किया जा सका। सेंट्रल एंजेसी होने के बावजूद कई करोड़ की दवा लोकल पर्चेज में उचें दाम पर खरीदी गई। ब्लैकलिस्टेड कंपनी से करोड़ों की दवा खरीदी। बिना जरुरत दवाएं, रिएजेंट और मशीनें खरीदी, और कबाड़ कर दी। गोदाम में पड़े पड़े करोडों की दवाएं एक्सपायर हो गईं।
स्वास्थ विभाग की दागदार हो चुकी छवि को सुधारने अब साय सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। स्वास्थ मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने 2017-18 से अब तक जारी उन तमाम टेंडर को निरस्त कर दिया है, जो बहुत पहले तय हुए रेट कांट्रैक्ट पर सालों से सप्लाई करते आ रहे थे। हालांकि, इन टेंडर से दवाओं को बाहर रखा गया है। बाकी, मशीन, रिएजेंट और कंज्युमेबल आइटम वाले टेंडर निरस्त कर दिए गए हैं।
सरकार के इस एक फैसले से सीजीएमएससी में सप्लाई करने वाली 105 सप्लायर कंपनियां बाहर हो गई हैं। करीब 100 करोड़ का टेंडर निरस्त हुआ है। जिन सप्लायर का टेंडर निरस्त हुआ है, उनमें मोक्षित कॉर्पोरेशन, मेडिलक्स सिस्टम, भारत मेडिकल सिस्टम, डीके साइंटिफिक टेक्नोलॉजी, स्टान बायो मेड इंजीनीयरिंग, आदर्श इंटरप्राइजेज, बीपीएल मेडिकल टेक्नोलॉजी जैसी कंपनियां शामिल हैं। मोक्षित कॉर्पोरेशन को लेकर तो विधानसभा तक में हंगामा हो चुका है।
स्वास्थ विभाग का कहना है कि अब सीजीएमएससी की खरीदी केंद्र सरकार के जेम्स पोर्टल से होगी। वहां जो आयटम उपलब्ध नहीं होगा, उसकी खरीदी वित्त विभाग की अनुमति से होगी। बहरहाल, स्वास्थ विभाग को क्लीन और नीट करने की दिशा में सरकार की एक कोशिश तो जरुर कही जाएगी, लेकिन इस दिशा में अब भी बहुत सारे काम करने बाकी हैं।
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छत्तीसगढ़ सरकार ने सीजीएमएससी से उपकरणों की खरीदी ना करके जेम्स पोर्टल के जरिए खरीदी करने का निर्णय लिया है। इसे लेकर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। टीएस सिंह देव ने कहा कि सीजीएमएससी का गठन रमन सिंह शासनकाल में इसलिए ही किया गया था ताकि सेंट्रलाइज तरीके से खरीदी करके दवाओं और उपकरणों की गुणवत्ता का ख्याल रखा जा सके। साथ ही साथ इसमें गड़बड़ी न हो सके। अगर डीसेंट्रलाइज्ड तरीके से खरीदी की जाएगी तो ना तो क्वालिटी का ध्यान होगा और ना ही इसमें गड़बड़ी को लेकर कोई बैरियर।
यही कारण है कि टीएस सिंह देव ने वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री के इस निर्णय को गलत बताते हुए कहा कि पोर्टल में किस तरह की सेटिंग होती है और किस तरह का जुगाड़ चल सकता है। यह सबको पता है ऐसे में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने सीजीएमएससी से खरीदी ना करके अन्य माध्यमों से खरीदी के निर्णय को गलत बताते हुए इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।