Mahadev Satta App Case: सट्टा, सुसाइड, सवाल.. एप पर सिसासी बवाल! आखिर इस काले खेल को किसका संरक्षण?
Mahadev Satta App Case: सट्टा, सुसाइड, सवाल.. एप पर सिसासी बवाल! आखिर इस काले खेल को किसका संरक्षण? Mahadev Satta
Mahadev Satta App Case
Mahadev Satta App Case: रायपुर। 2023 के चुनाव में महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप की गूंज ने कांग्रेस को बड़े झटके दिए। आरोप-प्रत्यारोप और ED एक्शन का ऐसा दौर चला कि पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। महादेव एप के काले कारोबार की जांच में सेंट्रल और राज्य की कई जांच एजेंसियां लगी हैं। ED ने दो हजार से ज्यादा पन्नों की चार्टशीट पेश की है। इस नेक्सस की परतों को खंगालने में राज्य पुलिस, ED, EOW के साथ-साथ अब SEBI यानि केंद्रीय भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड भी शामिल हो गया है। इसी बीच रायपुर में महादेव एप केस में उलझे एक कारोबारी ने सुसाइड कर लिया, जिसपर बीजेपी-कांग्रेस में घमासान तेज हो गया है। सवाल ये है कि आखिर इस काले खेल को किसका संरक्षण है, कौन-किसे बचा रहा है?
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रायुपर से दिल्ली तक गूंजे, छत्तीसगढ़ में सियासत, सिस्टम और शासन को झकझोर कर रखने देने वाला महादेव एप महाघोटाला प्रदेश की सियासत का सेंटर प्वाइंट बना हुआ है। केस की जांच कर रही ED ने कोर्ट में 2020 पन्नों की अपनी चार्जशीट में खुलासा किया है कि एप के संचालक सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और शुभम सोनी ने सट्टेबाज़ी की काली कमाई को वैलिडेट करने के लिए शेयर मार्केट में 1 हज़ार करोड़ रुपयों से ज्यादा का निवेश किया है। इसीलिए अब ED, EOW के बाद इसमें SEBI भी जांच करेगी।
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जांच, फरारी, गिरफ्तारी और अब केस में आत्महत्या ने इसे और पैनिक बना दिया, जिनके दौर में हुआ वे नए दौर के सत्ताधारियों से जवाब मांग रहे हैं। सवाल उठा रहे हैं, आखिर इस एप्प को बंद क्यों नहीं किया जा रहा? इस सवाल पर जवाब देते हुए प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने महादेव मामले में आत्महत्या को गंभीर मुद्दा बताया और आरोपों को खारिज करते हुए उल्टे कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में हुए इस महाघोटाले के पीड़ित अब सामने आने लगे हैं। दावा किया कि विभिन्न ऐजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
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Mahadev Satta App Case: क्या पुलिस, क्या नेता, क्या प्रशासन, क्या पत्रकार और क्या कारोबारी? 62 गिरफ्तारियां, 110 खातों की पड़ताल, सैंकड़ो छापेमारियां, 9 पैनल की धरपकड़, करोड़ों का ट्रांजैक्शन। बीते 2 सालों से प्रदेश की सियासत में जिस घपले का तहलका मचा हुआ है, उसके छींटे जब-तब कांग्रेस के बड़े नेताओं पर भी पड़ते रहे हैं। जाहिर है सियासी आरोपों का सिलसिला रुकेगा नहीं।

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