CG Ki Baat: बीमारी बलवान, सेवाएं कमजोर… स्वास्थ्य पर सियासी शोर! बीमारियों से आदिवासियों की मौत का जिम्मेदार कौन ?

CG Ki Baat: बीमारी बलवान, सेवाएं कमजोर... स्वास्थ्य पर सियासी शोर! बीमारियों से आदिवासियों की मौत का जिम्मेदार कौन ?

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  • Publish Date - July 15, 2024 / 09:20 PM IST,
    Updated On - July 15, 2024 / 09:20 PM IST

CG Ki Baat

CG Ki Baat: रायपुर। प्रदेश में मॉनसून एक्टिव होने के बाद, कहीं रूक-रूक कर तो कहीं अच्छी खासी बारिश का दौर चला। इसी बीच छग में चौतरफा बीमारी का प्रकोप दिख रहा है। कहीं डायरिया, कहीं मलेरिया, तो कहीं डेंगू, हर दिन के साथ बीमारों की संख्या बढ़ना सभी के लिए चिंता की बात है। सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि सारे दावों के बाद भी प्रदेश में बीमारियों से मौत के आंकड़े क्यों हैं। जाहिर है इन हालात में प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग और सरकार विपक्ष के सीधे निशाने पर है।

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स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि विभाग अपना काम ठीक से कर रहा है, तो फिर सवाल है कि फिर ये मौत का आंकड़ा क्यों? सवाल है क्या अब बीमारियों के रोकथाम के लिए की गई कोशिशें पर्याप्त हैं..? क्या अस्पतालों को जरूरी सेवाओं से लैस रखा गया है और अगर हां तो क्यों लोगों की मौतें हो रही हैं? देखें ये खास रिपोर्ट..

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प्रदेश में स्वास्थ्य व्वस्था पर विपक्ष के प्रहार की वजह है, कवर्धा जिले के बैगा बाहुल्य गांव सोनवाही में पिछले दिनों उल्टी दस्त से 5 बैगा आदिवासियों की मौत होने खबर लगते ही उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा प्रभावित गांव पहुंचे, दौरा कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका हाल चाल जाना। अधिकारियों को व्यवस्थाओं दुरूस्त करने के निर्देश दिए। इधऱ, विपक्ष ने भी प्रभावित इलाके का दौरा कर सरकार को मुद्दे पर जमकर घेरा। पूर्व CM भूपेश बघेल डायरिया प्रभावित ग्राम सोनवाही और झलमला पहुंचकर प्रभावित परिवारों से मुलाकत की।

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कांग्रेस का सीधा आरोप है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी प्रशासन सचेत नहीं है। गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हैं, डॉक्टर्स नहीं हैं। वहीं, पूर्व PCC अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने कहा कि संरक्षित जनजाति के लोगों की मौत होना अपने आप में बेहद गंभीर विषय ह। विपक्ष की सरकार से मांग की कि मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रु मुआवजा दिया जाए। मामले की गंभीरता को देखकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मलेरिया, डायरिया, समेत जल जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए फौरन कदम उठाने, स्वास्थ्य शिविर लगाने, स्वास्थ्य केन्द्रों में जीवन रक्षक दवाओं का पर्याप्त भण्डारण करने के निर्देश दिए।

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प्रदेश के डिप्टी CM विजय शर्मा सुदूर वनांचल क्षेत्र चिल्फी, झलमला और तरेगांव में प्रभावित गांव पहुंचे और फौरन शासकीय अस्पतालों में DMF से मशीनें क्रय करने का निर्देश दिया। वहीं, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने विपक्ष को सेहत से जुड़े मामले में सियासत ना करने की नसीहत दी। स्वास्थ्य मंत्री का दावा है कि बैगा आदिवासियों की मौत डायरिया से नहीं अन्य कारणों से हुई है। हेल्थ मिनिस्टर का दावा है कि स्वास्थ्य विभाग की कोई लापरवाही नहीं है। उन्होंने पूर्व CM पर तंज कसा कि बीतें पांच साल स्वास्थ्य विभाग ठीक से काम करता तो आज ये हाल ना होता।

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सोमवार को प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बीजापुर में कोटा के, पोटा केबिन पहुंचे। वहां छात्रों की मौत मामले में सारे हालात का जायजा लिया है। सवाल है कि क्या विपक्ष के आक्रामक तेवर से सरकार पर प्रेशर बना है या क्या आगामी सत्र में कांग्रेस मुद्दे पर सरकार को घेरेगी ? स्वास्थ्य मंत्री छात्रों की मौत मामले में अपने विभाग को क्लीन चिट दे चुके हैं तो फिर सबसे बड़ा सवाल यही है कि इन मौतों के पीछे असल कारण क्या है, कौन जिम्मेदार है इसका ?

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