Reported By: Tehseen Zaidi
,Chhattisgarh Liquor Scam | Image Source | IBC24
रायपुर: Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। राज्य शासन ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में नामजद आबकारी विभाग के 21 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दे दी है। इसका सीधा अर्थ यह है कि अब इन अफसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।
Chhattisgarh Liquor Scam: शासन से मंजूरी मिलने के बाद EOW अब इन अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर सकेगी जिसमें इन्हें आरोपी के रूप में नामजद किया जाएगा। इससे पहले इन अफसरों से कई दौर की पूछताछ हो चुकी है लेकिन अभियोजन स्वीकृति न होने के कारण गिरफ्तारी और अन्य कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकी थी। अब यह अड़चन भी समाप्त हो गई है।
Chhattisgarh Liquor Scam: अभियोजन स्वीकृति जिन 21 अधिकारियों के खिलाफ मिली है उनमें वरिष्ठ से लेकर जिला और इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी शामिल हैं। इनमें जनार्दन कौरव (सहायक जिला आबकारी अधिकारी), अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा (उपायुक्त), अरविंद पाटले, प्रमोद नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास गोस्वामी (सहायक आयुक्त), इकबाल खान, नितिन खंडुजा, नवीन प्रताप सिंह तोमर, मंजु केसर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, अशोक सिंह, मोहित जायसवाल, नीतू नोतानी, रविश तिवारी, गरीबपाल दर्दी, नोहर सिंह ठाकुर (जिला आबकारी अधिकारी स्तर तक) के प्रमुख नाम हैं। इन सभी अधिकारियों के नाम पहले से दर्ज एफआईआर में शामिल हैं और अब उन्हें शराब घोटाले के मुख्य आरोपियों के रूप में केस का सामना करना होगा।
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Chhattisgarh Liquor Scam: इस शराब घोटाले की एफआईआर में कुल 36 आरोपी बनाए गए थे जिनमें से कई राजनेता, उद्योगपति और सरकारी अफसर पहले ही जेल भेजे जा चुके हैं। अब बचे हुए अधिकारियों के खिलाफ भी अभियोजन की अनुमति मिलने से मामले में और तेज़ी आने की संभावना है।
Chhattisgarh Liquor Scam: शनिवार को EOW ने बस्तर के पाँच कस्बों में 15 ठिकानों पर छापेमारी की। इन छापों का संबंध पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से जोड़ा जा रहा है, जो वर्तमान में जेल में बंद हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि ये छापे उन्हीं के नेटवर्क से जुड़े स्थानों पर डाले गए हैं। इससे पहले कई बार इन अधिकारियों की गिरफ्तारी की चर्चाएं सामने आई थीं लेकिन शासन से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने के कारण EOW को कार्रवाई रोकनी पड़ी थी। अब जब शासन की हरी झंडी मिल गई है, तो जल्द ही गिरफ्तारी सहित अन्य कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।