Hareli Tihar 2025: मुख्यमंत्री निवास में हरेली उत्सव, छत्तीसगढ़ी परंपराओं की झलक, पारंपरिक कृषि यंत्रों के साथ बिखरी सांस्कृतिक छटा

Hareli Tihar 2025: मुख्यमंत्री निवास में हरेली उत्सव, छत्तीसगढ़ी परंपराओं की झलक, पारंपरिक कृषि यंत्रों के साथ बिखरी सांस्कृतिक छटा

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  • Publish Date - July 24, 2025 / 12:30 PM IST,
    Updated On - July 24, 2025 / 12:30 PM IST

Hareli Tihar 2025/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • हरेली तिहार का पारंपरिक उत्सव आज,
  • मुख्यमंत्री साय के निवास में विधिवत रूप से आरंभ हुआ,
  • पारंपरिक कृषि यंत्रों एवं परिधानों की झलक,

रायपुर: Raipur News: छत्तीसगढ़ी लोकजीवन की खुशबू लिए हरेली तिहार का पारंपरिक उत्सव आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निवास में विधिवत रूप से आरंभ हुआ। छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ प्रत्येक अवसर और कार्य के लिए विशेष प्रकार के पारंपरिक उपकरणों एवं वस्तुओं का उपयोग होता आया है। हरेली पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में ऐसे ही पारंपरिक कृषि यंत्रों एवं परिधानों की झलक देखने को मिली, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की अमूल्य धरोहर हैं।

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काठा

Hareli Tihar 2025: सबसे बाईं ओर दो गोलनुमा लकड़ी की संरचनाएँ रखी गई थीं, जिन्हें ‘काठा’ कहा जाता है। पुराने समय में जब गाँवों में धान तौलने के लिए काँटा-बाँट प्रचलन में नहीं था, तब काठा से ही धान मापा जाता था। सामान्यतः एक काठा में लगभग चार किलो धान आता है। काठा से ही धान नाप कर मजदूरी के रूप में भुगतान किया जाता था।

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खुमरी

Hareli Tihar 2025: सिर को धूप और वर्षा से बचाने हेतु बांस की पतली खपच्चियों से बनी, गुलाबी रंग में रंगी और कौड़ियों से सजी एक घेरेदार संरचना ‘खुमरी’ कहलाती है। यह प्रायः गाय चराने वाले चरवाहों द्वारा सिर पर धारण की जाती है। पूर्वकाल में चरवाहे अपने साथ ‘कमरा’ (रेनकोट) और खुमरी लेकर पशु चराने निकलते थे। ‘कमरा’ जूट के रेशे से बना एक मोटा ब्लैंकेट जैसा वस्त्र होता था, जो वर्षा से बचाव के लिए प्रयुक्त होता था।

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कांसी की डोरी

Hareli Tihar 2025: यह डोरी ‘कांसी’ नामक पौधे के तने से बनाई जाती है। पहले इसे चारपाई या खटिया बुनने के लिए ‘निवार’ के रूप में प्रयोग किया जाता था। डोरी बनाने की प्रक्रिया को ‘डोरी आंटना’ कहा जाता है। वर्षा ऋतु के प्रारंभ में खेतों की मेड़ों पर कांसी पौधे उग आते हैं, जिनके तनों को काटकर डोरी बनाई जाती है। यह डोरी वर्षों तक चलने वाली मजबूत बुनाई के लिए उपयोगी होती है।

झांपी

Hareli Tihar 2025: ढक्कन युक्त, लकड़ी की गोलनुमा बड़ी संरचना ‘झांपी’ कहलाती है। यह प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ में बैग या पेटी के विकल्प के रूप में प्रयुक्त होती थी। विशेष रूप से विवाह समारोहों में बारात के दौरान दूल्हे के वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, पकवान आदि रखने के लिए इसका उपयोग किया जाता था। यह बांस की लकड़ी से निर्मित एक मजबूत संरचना होती है, जो कई वर्षों तक सुरक्षित बनी रहती है।

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कलारी

Hareli Tihar 2025: बांस के डंडे के छोर पर लोहे का नुकीला हुक लगाकर ‘कलारी’ तैयार की जाती है। इसका उपयोग धान मिंजाई के समय धान को उलटने-पलटने के लिए किया जाता है।

"हरेली उत्सव" कब और क्यों मनाया जाता है?

हरेली उत्सव छत्तीसगढ़ में श्रावण माह की अमावस्या को मनाया जाता है। यह किसान और प्रकृति से जुड़ा पर्व है, जिसमें कृषि यंत्रों की पूजा कर अच्छी फसल और समृद्धि की कामना की जाती है।

"काठा" क्या होता है और इसका उपयोग कैसे किया जाता है?

काठा एक गोलनुमा लकड़ी की माप संरचना होती है जिसका उपयोग पुराने समय में धान तौलने और मजदूरी के भुगतान में किया जाता था। एक काठा में लगभग चार किलो धान आता है।

"खुमरी" किसके द्वारा और क्यों पहनी जाती है?

खुमरी एक बांस की बनी सिर पर पहनने वाली छांव संरचना है, जिसे गाय चराने वाले चरवाहे धूप और बारिश से बचने के लिए पहनते हैं। यह कौड़ियों से सुसज्जित होती है।

"झांपी" का उपयोग किस परंपरा में होता है?

झांपी एक ढक्कन युक्त गोल बक्सानुमा संरचना है जो छत्तीसगढ़ में विशेषकर विवाह समारोहों में दूल्हे के कपड़े, श्रृंगार और पकवान रखने के लिए उपयोग होती है।

"कलारी" का उपयोग किस कार्य में होता है?

कलारी एक बांस की डंडी के सिरे पर लोहे का हुक लगी संरचना होती है, जिसका प्रयोग धान मिंजाई के समय धान को पलटने या फैलाने में किया जाता है।