छत्तीसगढ़ में जमीन रजिस्ट्री का नया सिस्टम लागू, फर्जीवाड़े पर शत प्रतिशत लगेगी लगाम! जानें किस तरह करता है काम

New system of land registry implemented in Chhattisgarh:

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  • Publish Date - January 15, 2024 / 08:10 PM IST,
    Updated On - January 15, 2024 / 08:27 PM IST

New system of land registry in Chhattisgarh

New system of land registry in Chhattisgarh: रायपुर। छत्तीसगढ़ में जमीन रजिस्ट्री का नया सिस्टम लागू हो होने जा रहा है। अब तक आईटी सॉल्युशन कंपनी की ओर से डेवलप सॉफ्टवेयर के जरिए जमीनों का पंजीयन होता था, जो ज्यादा पेचीदा और समय लेने वाला था। लेकिन सरकार ने उसकी जगह केंद्र सरकार की ओर से डेवलप NGDRS सिस्टम लागू कर दिया है। इससे समय की बचत तो होगी ही, आधार और पैन लिंक होने के चलते फर्जीवाड़ा कर जमीनों की होने वाली रजिस्ट्री भी बंद हो जाएगी।

एनजीडीआरएस सॉफ्टवेयर को डेवलप केंद्र सरकार ने किया है, लेकिन छत्तीसगढ़ की जरूरतों के अनुसार उसे मॉडिफाइड एनआईसी ने किया है। यह पूरी तरह से कस्टमर फ्रेंडली सॉफ्टवेयर है। रजिस्ट्री कराने से पहले सारी जानकारी घर से भर सकते हैं। इसके लिए पहले लॉगईन आईडी पासवर्ड बनाना होता है, फिर सिटीजन सेक्शन के जरिए जमीन की डिडेल्स भरना होता है। एरिया लोकेशन के हिसाब से उस पर लगने वाले सभी तरह के टैक्स की गणना कर सॉफ्टवेयर खुद बता देता है।

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ट्रेनिंग के लिए रजिस्ट्री ऑफिस में क्यूआर कोड लगाया गया है। स्कैन करने पर खुद से फॉर्म भरने की सारी प्रक्रिया वीडियो के जरिए बता दी जाती है। रजसिट्रेशन के दौरान बी वन खसरा का नंबर डालते ही पता चल जाएगा। जमीन का असल मालिक कौन है, किसी विवाद के चलते इसे ब्लॉक तो नहीं किया गया है। इस सॉफ्टवेयर के साथ आधार कार्ड को लिंक किया गया है। रजिस्ट्री के दौरान थंप इम्प्रेशन देने पर बेचने वालों का आधार डिटेल्स स्क्रीन पर सामने होगा। अगर कोई फर्जी आदमी खड़ा हो तो उसे वहीं पकड़ लिया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर में जमीन का लेटेस्ट खसरा नंबर ही काम करेगा। पुराना डालने पर सॉफ्टवेयर एक्सेप्ट कर आगे नहीं बढ़ेगा। यानी, फर्जीवाड़ा कर जमीन बेचने वालों पर नकेल लगाने की पूरी व्यवस्था है।

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इस माममले पर धर्मेश साहू, महानिरीक्षक पंजीयन ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर को पैन से लिंक भी किया जा रहा है। रजिस्ट्री शुल्क अदा करने के लिए यूपीआई, क्यूआर कोड और ऑनलाइन पेमेंट की भी सुविधा दी गई है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर धमतरी और महासमुंद में इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है। इसके बाद, आज से ही इसे प्रदेश में फेजवाइज रोलआउट किया गया है। इसके तहत, रायपुर रजिस्ट्री ऑफिस के एसआर 4 में इसकी शुरूआत की गई है।

एनजीडीआरएस के तहत जमीन रजिस्ट्री की कई खामियों को दूर करने की कोशिश की गई है। वैसे भी देश के 19 राज्यों में इसे ऑलरेडी चलाया जा रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जमीन की फर्जी रजिस्ट्री और एक ही जमीन को बार बार बेचने के रैकेट पर लगाम लग सकेगा।