Home Ministry on Naxalism: भारत के लिए नासूर बन चुका है नक्सलवाद.. गृह मंत्रालय के रिपोर्ट में खुलासा, देश के 95% हिंसक मौतें इन्ही की वजह से..

वामपंथी उग्रवाद में गिरावट का श्रेय बेहतर सुरक्षा उपायों, प्रभावी रणनीतियों, विकास योजनाओं की सुदृढ़ निगरानी और बड़ी संख्या में उग्रवादियों के मुख्यधारा में लौटने को दिया गया है।

Home Ministry on Naxalism: भारत के लिए नासूर बन चुका है नक्सलवाद.. गृह मंत्रालय के रिपोर्ट में खुलासा, देश के 95% हिंसक मौतें इन्ही की वजह से..

When will Naxalism end from Chhattisgarh? | Image- IBC24 News File

Modified Date: January 2, 2025 / 12:00 am IST
Published Date: January 2, 2025 12:00 am IST

नई दिल्ली। गृह मंत्रालय (एमएचए) की 2023-2024 की वार्षिक रिपोर्ट में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की स्थिति पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, भले ही प्रमुख वामपंथी उग्रवादी संगठन सीपीआई (When will Naxalism end from Chhattisgarh?) ने अंतर-राज्यीय सीमाओं पर नए क्षेत्रों में विस्तार करने का प्रयास किया है, लेकिन उन्हें इसमें कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद, सीपीआई (माओवादी) देश के सबसे शक्तिशाली वामपंथी उग्रवादी संगठन के रूप में बना हुआ है, जो कुल हिंसक घटनाओं का 90 प्रतिशत और परिणामी मौतों का 95 प्रतिशत जिम्मेदार है।

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हिंसा का घटता भौगोलिक प्रसार

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एलडब्ल्यूई का भौगोलिक प्रसार पिछले दशक में काफी कम हुआ है। 2013 में जहां 76 जिलों के 328 पुलिस स्टेशनों से एलडब्ल्यूई हिंसा की घटनाएं दर्ज की गई थीं, वहीं 2023 में यह संख्या घटकर 42 जिलों के 171 पुलिस स्टेशनों तक सीमित हो गई। हिंसा का बड़ा हिस्सा केवल 25 जिलों में सिमट गया है, जो कुल घटनाओं का 91 प्रतिशत है।

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प्रभावित राज्य और घटनाएं

छत्तीसगढ़ वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित राज्य बना रहा, जहां कुल हिंसक घटनाओं का 63 प्रतिशत और परिणामी मौतों का 66 प्रतिशत हिस्सा दर्ज किया गया। झारखंड दूसरा सबसे अधिक प्रभावित राज्य था, (When will Naxalism end from Chhattisgarh?) जहां 27 प्रतिशत घटनाएं और 23 प्रतिशत मौतें हुईं। इसके अलावा, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, बिहार, और केरल से भी हिंसा की घटनाएं रिपोर्ट की गईं।

सुरक्षा बलों की कार्रवाई और सुधार

2024 की पहली छमाही में सुरक्षा बलों द्वारा वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ अभियानों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। जहां 2023 में 59 अभियान चलाए गए थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 103 हो गई। इस दौरान निष्प्रभावी माओवादियों की संख्या 30 से बढ़कर 159 हो गई, जो 5 गुना से अधिक वृद्धि दर्शाती है।

उग्रवाद में गिरावट के कारण

रिपोर्ट के अनुसार, वामपंथी उग्रवाद में गिरावट का श्रेय बेहतर सुरक्षा उपायों, प्रभावी रणनीतियों और प्रभावित क्षेत्रों में विकास योजनाओं की सुदृढ़ निगरानी को दिया जा सकता है। इसके साथ ही, (When will Naxalism end from Chhattisgarh?) पिछले वर्षों में बड़ी संख्या में उग्रवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।

सरकार का संकल्प

कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि केंद्र सरकार ने देशभर में वामपंथी उग्रवाद को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है और 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य है।

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रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की बढ़ती उपस्थिति और परिचालन क्षमता के कारण समग्र स्थिति में सुधार हुआ है। हालांकि, सीपीआई (When will Naxalism end from Chhattisgarh?) की चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। सरकार और सुरक्षा बलों का लक्ष्य इसे पूरी तरह समाप्त करना और प्रभावित क्षेत्रों में शांति व विकास सुनिश्चित करना है।


Article about Naxalism and MHA’s 2023-2024 Report

वामपंथी उग्रवाद (नक्सलवाद) का भौगोलिक प्रसार कितना घट गया है?

रिपोर्ट के अनुसार, वामपंथी उग्रवाद का भौगोलिक प्रसार पिछले दशक में काफी घटा है। 2013 में 76 जिलों के 328 पुलिस स्टेशनों में हिंसा दर्ज की गई थी, जो 2023 में घटकर 42 जिलों के 171 पुलिस स्टेशनों तक सीमित रह गई।

छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से कितना प्रभावित है?

छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित राज्य है, जहां 2023 में कुल घटनाओं का 63% और परिणामी मौतों का 66% हिस्सा दर्ज किया गया।

क्या नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए सरकार ने कोई समय सीमा तय की है?

हां, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि केंद्र सरकार का लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक देशभर से नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करना है।

सुरक्षा बलों की कार्रवाई में क्या प्रगति हुई है?

2024 की पहली छमाही में सुरक्षा बलों ने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ 103 अभियान चलाए, जो 2023 के 59 अभियानों से लगभग दोगुने हैं। निष्प्रभावी माओवादियों की संख्या 30 से बढ़कर 159 हो गई है, जो 5 गुना वृद्धि दर्शाती है।

नक्सलवाद में गिरावट के मुख्य कारण क्या हैं?

वामपंथी उग्रवाद में गिरावट का श्रेय बेहतर सुरक्षा उपायों, प्रभावी रणनीतियों, विकास योजनाओं की सुदृढ़ निगरानी और बड़ी संख्या में उग्रवादियों के मुख्यधारा में लौटने को दिया गया है।

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A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown