Social boycott of a woman and her family in Gajamarra
डोंगरगढ़। ग्राम गाजमर्रा में एक महिला और उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार तथा हुक्कापानी बंद करने का मामला सामने आया है। पीड़िता की शिकायत पर प्रशासन द्वारा गांव पहुंचकर ग्रामीणों के साथ बैठक कर आपसी राजीनामा समझौता करवाया गया है। प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम गाजमर्रा निवासी दीपाली वर्मा ने डेढ़ साल पहले थाने में शिकायत की थी, कि गांव में दबंगों ने उसका और उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार तथा हुक्कापानी बंद कर दिया है।
पीड़िता ने इसकी शिकायत राज्य महिला आयोग छत्तीसगढ़ में भी की थी। महिला आयोग में शिकायत के बाद स्थानीय प्रशासन ने मामले का संज्ञान लिया तथा तहसीलदार तथा पुलिस प्रशासन गांव पहुंचकर गांव में बैठक ली तथा ग्रामीणों को समझाइश दी की किसी का सामाजिक बहिष्कार तथा हुक्कापानी बंद करना कानूनन अपराध है। गांवो के दबंगों ने बताया, कि दीपाली अपने पति से अलग रहती है तथा अतिक्रमण कर दुकान बनवाई है। घर में बाहरी लोगों का अनजान लोगों का आना – जाना लगा रहता है। इसी बात की पूछताछ करने पर दीपाली द्वारा ग्रामीणों के साथ गाली गलोच की जाती है। प्रशासन ने दो पक्षों को सुनने के बाद आपस में समझौता करवाया।
बता दे की डोंगरगढ़ क्षेत्र में कई ग्रामीण इलाको में उनके गांवो का कानून चलता है। प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर गांवो में बैठक कर बड़े से बड़े अपराध पर फैसला हो जाता है। इस 21 वीं सदी में जहां एक ओर आधुनिक भारत गढ़ने को लेकर शासन प्रशासन द्वारा तमाम दावे किए जाते हैं तो वहीं दूसरी ओर सामाजिक बहिष्कार को लेकर इस तरह का दृश्य निकाल कर सामने आना कहीं ना कहीं शासन प्रशासन के साथ-साथ ही हमारे समाज पर कई प्रश्न खड़े करता है। बहरहाल सामाजिक बहिष्कार के इस मामले को हल करने का दावा तो प्रशासनिक जिम्मेदारों द्वारा कर दिया गया परंतु पीड़िता ने भी यह शंका जाहिर की है कि गांव में उसे शांति से रहने मिलेगा या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा। IBC24 से धीरज शर्मा की रिपोर्ट
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