सरगुजा: कही जर्जर स्कूल में बच्चे को पढ़ने को है मजबूर,कही किचन शेड में लग रहा स्कूल, तो कही पंचायत भवन ही बना सालो से अस्थाई स्कूल। जी हां स्कूलों का ये आलम उस संभाग का है, जहां से शिक्षा मंत्री खुद आते हैं। आइए आपको बताते हैं कैसे जर्जर औऱ बदहाल स्थिति में है सरगुजा जिले के शासकीय स्कूल।
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तो सुना आपने की कैसे ये शिक्षक जो बच्चो का भविष्य गढ़ने का काम करते है वो खुद बता रहे है कि एक छोटे से किचन शेड में 72 बच्चों को पढ़ना कितना मुश्किल होता है और यही कारण है यहां एक एक दिन करके पांचों कक्षाओं के संचालन किया जाता है। लेकिन रुकिए सरगुजा के सखोली का ये अकेला स्कूल नही जहां पढ़ाई की स्थिति बदहाल हो बल्कि मोहनपुर में स्कूल भवन जर्जर होने के कारण कक्षाएं मिडिल स्कूल में लगाई जा रही है, जहां एक कमरे में पांचों कक्षाएं संचालित कि जा रही है। इसी से लगा हुआ है रेवापुर का प्राथमिक स्कूल जहाँ पिछले 6 सालों से स्कूल भवन जर्जर है और कक्षाएं पंचायत भवन में लग रही है। लेकिन जब भी पंचायत की कोई सभा होती है तब बच्चो की अघोषित छुट्टी हो जाती है।
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अभी दो दिन पहले सरगुजा के एक जर्जर स्कूल का छज्जा गिरने से एक छात्र गम्भीर रुप से घायल हो गया, जिसके बाद आनन फानन में जिला शिक्षा अधिकारी ने जर्जर स्कूलों की सूची तो तैयार कर ल, जिनकी संख्या 298 है। अब इन स्कूलों से बच्चो को तत्काल शिफ्ट करने की दलील दी जा रही है मगर जहां स्कूल शिफ्ट हुए वहां किस तरह की बदहाली है इससे महोदय अंजान नजर आए। हां ये जरूर कह दिया कि जांच करा उचित कार्रवाई करेंगे।
जिस तरह से शिक्षा मंत्री के संभाग में बच्चे बदहाल हालत में खुद की जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। उससे साफ है कि ऐसी पढ़ाई से सरकारी खानापूर्ति जरूर की जा सकती है।मगर नौनिहालों के भविष्य के गढ़ने की कहानी बेमानी होगी।
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7 hours ago