Publish Date - May 22, 2025 / 08:51 PM IST,
Updated On - May 23, 2025 / 12:06 AM IST
Chhattisgarh News. Image Source-IBC24
HIGHLIGHTS
2016 में शादी के लिए अवकाश लेने पर सेवा से हटाया गया था।
कोर्ट ने माना कि प्रोबेशन में भी निष्पक्ष जांच और सुनवाई जरूरी है।
अब सेवा में बहाली और 50% वेतन के भुगतान का आदेश
बिलासपुर। Chhattisgarh News: जिला न्यायालय के भृत्य को अपनी शादी के लिए अवकाश लेना मंहगा पड़ गया। वापस आने के बाद उसको बर्खास्त कर दिया गया। 9 साल बाद उसको न्याय मिला है। हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश रद्द कर पिछले सभी देयकों समेत सेवा में वापस लेने का आदेश जारी किया। कोर्ट ने माना कि प्रोबेशन अवधि में भी कोई आरोप लगने पर मामले की जांच और सुनवाई का अवसर देना जरूरी है।
Chhattisgarh News: बता दें कि राजेश देशमुख जिला कोर्ट बालोद में परीवीक्षा अवधि में भृत्य था। उसने वर्ष 2016 में अपनी शादी के लिए 7 दिन का अवकाश लिया। 10 दिन बाद काम पर वापस आया तो देर से लौटने की वजह से उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। विभाग ने आरोप लगाया कि उसने अनाधिकृत रूप से अवकाश लिया है। मुख्यालय से जो नोटिस जारी हुआ उसका याचिकाकर्ता ने जवाब भी दिया। लेकिन विभाग ने इस पर भी असंतोष जताते हुए सेवा से हटा दिया। प्रोबेशन में भी आरोपों की जांच और सुनवाई का अवसर जरूरी पीड़ित ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले की जस्टिस संजय श्याम अग्रवाल की बेंच में सुनवाई हुई।
याचिककर्ता की ओर से उसके अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सिर्फ प्रोबेशन में रहने के कारण कर्मचारी को सेवा से हटाया नहीं जा सकता। प्रोवेशन पीरियड में रहने पर भी आरोप की विस्तृत जांच की जानी थी। बिना जांच के पद से हटाया नहीं जा सकता। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने देशमुख को 50 प्रतिशत पिछले वेतन के साथ सेवा में वापस लेने का निर्देश जिला न्यायालय बालोद को दिया।