जोधपुर, 28 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव अरुण कुमार ने रविवार को कहा कि जनहित याचिकाओं का दुरुपयोग मजबूत सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करता है और समाज में विभाजन पैदा करता है। एक आधिकारिक बयान में यह बात कही गई।
बयान के अनुसार, कुमार ने बालोतरा में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के तीन दिवसीय 17वें राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में यह टिप्पणी की, जिसमें अदालतों में न्यायाधीशों की समयबद्ध नियुक्ति की मांग वाला एक प्रस्ताव पारित किया गया।
संवैधानिक नैतिकता और चुनिंदा जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के चलन का हवाला देते हुए कुमार ने दावा किया कि इनका दुरुपयोग मजबूत सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करता है और समाज में विभाजन पैदा करता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्यायिक प्रक्रियाओं में संतुलन, संवेदनशीलता और राष्ट्र हित अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान को उसकी मूल भावना और सार के अनुसार लागू करने में सक्रिय भूमिका निभाना और न्यायिक क्षेत्र के भीतर जनहित के मुद्दों पर नेतृत्व प्रदान करना हर वकील की जिम्मेदारी है।’’
कुमार ने कहा कि अधिवक्ताओं की भूमिका केवल न्यायालयों तक ही सीमित नहीं है, वे समाज का मार्गदर्शन करने और राष्ट्रीय चेतना को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
बयान में यह कहा गया है कि सम्मेलन के तीसरे और अंतिम दिन, उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की भारी कमी, उनकी नियुक्तियों में देरी और लंबित मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए एक प्रस्ताव भी पारित किया गया।
बयान में कहा गया है कि न्यायिक शक्ति और न्याय की सुलभता बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
भाषा राजकुमार दिलीप
दिलीप