Reported By: Devendra Kumar Raidas
,mandla news/ image source: IBC24
Mandla News: मंडला: कल्पना कीजिए, आप जीवित हैं! आपके फेफड़ों में सांसें चल रही हैं, आप अपनों के बीच मौजूद हैं, लेकिन सरकारी तंत्र के लिए आप मर चुके हैं। मध्य प्रदेश के मंडला से एक ऐसी खबर आई है जो प्रशासन की संवेदनशीलता और सिस्टम की लापरवाही की कलई खोलती है।
यह मंडला जिले के हीरापुर गांव के प्रीतम रजक हैं उम्र 60 साल, लेकिन संघर्ष किसी युवा से भी ज्यादा कठिन प्रीतम जी आज भी सांस ले रहे हैं। चल-फिर रहे हैं, बोल रहे हैं, लेकिन सरकारी फाइलों ने दो साल पहले ही इनकी तेरहवीं कर दी है,सिस्टम की एक कलम ने एक जीते-जागते इंसान को कागजों में दफन कर दिया।
Mandla News: जैसे ही सरकारी पोर्टल पर प्रीतम रजक को मृत घोषित किया गया। मानो उनके जीवन का आधार ही छीन लिया गया। पिछले दो साल से न तो घर में सरकारी राशन आ रहा है और न ही वृद्धावस्था पेंशन खाते में जमा हो रही है। जिस उम्र में सहारा मिलना चाहिए था। उस उम्र में बेबसी और लाचारी ने घेर लिया है। सरकारी योजनाओं से वंचित प्रीतम अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए सिस्टम के दरवाजों पर अपनी मौजूदगी की भीख मांग रहे हैं।
हैरानी की बात यह है कि प्रीतम रजक कलेक्टर से लेकर SDM और जनसुनवाई तक कई चक्कर काट चुके हैं। लेकिन फाइलें हैं कि हिलती नहीं और आश्वासन हैं कि खत्म नहीं होते। जब इस मामले पर मीडिया ने SDM नैनपुर से सवाल किया। तो जवाब वही रटा-रटाया मिला मामला संज्ञान में आया है। जांच कराई जाएगी।
Mandla News: सवाल यह है कि जिस बुजुर्ग की दो साल की जिंदगी सिस्टम की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। उसकी भरपाई कौन करेगा ? क्या फाइलों को ठीक करने के लिए किसी इंसान के वास्तव में मर जाने का इंतजार किया जा रहा है ?