शह मात The Big Debate: धर्मांतरण का रण..अब और भी भीषण! धर्मांतरण का विवाद..असल या सियासी कारणों से हो रहे हैं?
Religious Conversion in CG: धर्मांतरण का रण..अब और भी भीषण! धर्मांतरण का विवाद..असल या सियासी कारणों से हो रहे हैं?
Religious Conversion in CG
- कांकेर में धर्मांतरित व्यक्ति के अंतिम संस्कार पर दो समुदायों में टकराव
- रायपुर में 700 लोगों ने की घर वापसी, भाजपा नेता प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने कराया संस्कार
- छग हाईकोर्ट ने कहा — जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए बोर्ड असंवैधानिक नहीं
रायपुर: Religious Conversion in CG धर्मांतरण को लेकर सियासी तौर पर हमेशा दो तरह की सोच सामने आई हैं। एक ये कि धर्म बदलना व्यक्ति की अपनी सोच, अपनी च्वाइस, अपना अधिकार है, तो दूसरी ये कि व्यवहारिक तौर पर डर, लोभ, दबाव या सेवा का छलावा देकर धर्म बदलवाया जाता है। जिसके लिए बाकायदा विदेशी फंडिग भी है और पूरा का पूरा तंत्र भी पर अब केवल हिंदू संगठन या पॉलिटिकल दल ही विरोध में नहीं हैं बल्कि आदिवासी ग्रामीण भी मुखर होकर विरोध में बैनर लगा चुके हैं। सवाल है ये कैसे रुकेगा? क्या केवल नए कानून से?
Religious Conversion in CG छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण रूका नहीं है, धड़ल्ले से हुआ है इस बात का सुबूत हैं, 1 दिन पहले की जब कांकेर के कोड़ेकुर्सी थाना क्षेत्र में एक धर्मांतरित व्यक्ति का शव को दफनाने को लेकर दो समुदाय आमने-सामने आ गए। विवाद इतना बढ़ा कि परिवार शव को लेकर लोग थाने पहुंच गया। प्रशासन को शव कहीं और दफनाने का निर्णय लेना पड़ा। विवाद इतने पर भी नहीं थमा, शव को शनिवार को धमतरी में दफनाने की आशंका में हिंदू जागरण मंच ने विरोध का झंड़ा उठा लिया।
राजधानी रायपुर की जहां प्रदेशभर के 242 परिवारों के लगभग 700 लोगों ने हिंदू धर्म में वापसी की। जिसकी अगुआई की भाजपा नेता और धर्मांतरण के खिलाफ अभियान चलाने वाले प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने जगद्गुरु रामानंदाचार्य और स्वामी नरेंद्रचार्य के समक्ष धर्मांतरित लोगों के पैर धोकर, धर्म वापसी कराई गई।
मुद्दा बड़ा और गंभीर है। बीजेपी ने फिर धर्मांतरण पर कड़े कानून बनाने की पहल का दावा किया तो कांग्रेस ने इसे सीधे-सीधे सरकार का फेलुअर। कांकेर के 14 गांवों ने तय कर लिया है कि उनके गांवों में पास्टर, पादरियों और धर्मांतरित लोगों के प्रवेश पर रोक होगी, तो वहीं छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ग्राम सभाओं के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर साफ कर दिया है कि जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए बोर्ड असंवैधानिक नहीं हैं,
साफ है एक तरफ हैं धर्मांतरण के बाद छत्तीसगढ़ के वनांचल वाले ग्रामों में बनती वर्ग संघर्ष की स्थिति तो दूसरी तरफ है। धर्मांतरण के खिलाफ एक जुट होता आदिवासी समाज और तीसरी तरफ सैंकड़ों लोगों का घर वापसी अभियान सवाल ये है कि अगर धर्मांतरण जबरन या लालच देकर नहीं हो रहा तो सर्व समाज में ये गुस्सा क्यों घर वापसी की कतार में सैंकड़ों परिवार कैसे सवाल कड़े कानून के इंतजार पर भी है?

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