इन किसानों से होगी सम्मान निधि के पैसे की वसूली, तैयार हुई लिस्ट, कहीं आपका नाम भी तो नहीं
इन किसानों से होगी सम्मान निधि के पैसे की वसूली, तैयार हुई लिस्ट, कहीं आपका नाम भी तो नहीं! These farmers will be recovered from the money
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रायगढ़ः केंद्र सरकार की ओर से किसानों को दी जाने वाली किसान सम्मान निधि में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए शासन ने किसानों की ई केवायसी अपडेट करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन जानकर हैरत होगी कि अंतिम तिथि बीत जाने के बाद भी अब तक 60 हजार से अधिक किसानों ने ईकेवायसी ही अपडेट नहीं कराया है। कृषि विभाग अब इन किसानों के भौतिक सत्यापन की तैयारी कर रहा है।
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केंद्र सरकार 2 हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों को सालाना 6 हजार रुपए किसान सम्मान निधि के रुप में देती है। जिले में बीते साल ग्राहक सेवा केंद्रों के माध्यम से डेढ़ लाख किसानों ने इस योजना के तहत पंजीयन कराया। हालांकि केंद्र सरकार ने जब मामले की जांच शुरु की तो तकरीबन 26 हजार किसान इस योजना के लिए अपात्र पाए गए। उनसे 11 करोड़ रुपए की रिकवरी के निर्देश भी दिए गए। केंद्र ने गड़बड़ी रोकने के लिए नियमों में फेरबदल कर सभी किसानों की ई-केवायसी अपडेट करने के बाद ही योजना का लाभ देने के निर्देश दिए।
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जिले में अभी तक सिर्फ 60 हजार 396 किसानों का ई-केवायसी अपडेट हुआ है। जांच में 30 हजार 306 किसान अपात्र पाए गए हैं। अभी भी 60 हजार किसानों की केवायसी अपडेट नहीं हुई है। केवायसी अपडेट की अंतिम तिथि 31 जुलाई निर्धारित की गई थी किसान ई-केवायसी में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। ई केवायसी नहीं कराने वाले किसानों की संख्या पर नजर डालें तो सारंगढ ब्लॉक में 20018 किसानों ने, धरमजयगढ़ में 9350 किसानों ने, पुसौर के 6646, रायगढ़ के 5894, लैलूंगा के 4892, घरघोड़ा के 3032, खरसिया के 4036, और तमनार के 2078 किसानों ने ई केवायसी जमा ही नहीं की है।
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जानकारों का कहना है कि वास्तव में ये किसान पात्र हैं ही नहीं। इसीलिए इन किसानों ने ईकेवायसी अपडेट नहीं कराया। जांच की जाए तो इसमें से अधिकांश किसान फर्जी निकल सकते हैं। इधर मामले में अधिकारी भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि बडी संख्या में किसानों की ई-केवायसी नहीं हुई है। अधिकारियों का कहना है कि कई किसानों की जांच के लिए मैदानी स्तर पर टीम भेजी गई तो पता चला कि उनका घर या जमीन ही नहीं है। ऐसे में अब सभी किसानों की जांच की जाएगी। अधिकारियों का ये भी कहना है कि बीते साल भी कई किसान फर्जी पाए गए थे।

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