रिपोर्ट- सौरभ परिहार और राजेश राज, रायपुर: power in 2023 in Chhattisgarh? छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव अगले साल होंगें, लेकिन उसकी नींव अभी से रखी जाने लगी है। कांग्रेस सदस्यता अभियान के जरिए 31 मार्च तक 10 लाख सदस्य बनाने के लक्ष्य हासिल करने जी जान से जुटी है। बूथ स्तर से लेकर पीसीसी की कार्यकारिणी तक का गठन भी किया जाना है। चुनावी साल से ठीक पहले इन कवायदों के बड़े राजनीतिक मायने हैं। दूसरी ओर बीजेपी भी जमीन स्तर पर पार्टी को मजबूत करने में जुटी हुई है। समर्पण निधि अभियान के जरिए जनाधार और आर्थिक तंत्र दोनों को मजबूत करने में जुटी है। कुल मिलाकर दोनों ही दल अच्छे से जानते हैं कि अगर 2023 में सत्ता की रेस जीतनी है तो अभी से मेहनत करनी पड़ेगी। अब सवाल ये है कि फिलहाल इस रेस में अव्वल कौन है?
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power in 2023 in Chhattisgarh? छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव भले ही 2023 में हो, लेकिन 2022 के आगाज के साथ इसकी तैयारियां शुरू हो गई है। चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने बीजेपी और कांग्रेस ने ग्राउंड पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। बात करें सत्तारूढ़ कांग्रेस की चुनाव से पहले अपने जनाधार को बढ़ाने सदस्यता अभियान चला रही है। 14 फरवरी से शुरू अभियान 31 मार्च तक चलेगा। अब तक 6.55 लाख ऑफलाइन सदस्यता पूरी कर ली गई है जबकि ऑनलाइन डिजिटल मेंबरशिप का आंकड़ा भी 1.27 लाख को पार कर गया है। अभियान कितना अहम है इसी बात से समझा जा सकता है कि बस्तर, सरगुजा, बिलासपुर, रायपुर समेत हर संभाग में पार्टी के तमाम बड़े पदाधिकारियों ने बकायदा बैठक ली और पार्टी के हर मोर्चा- प्रकोष्ठ को इस काम में लगा दिया गया है।
वहीं रायपुर में बुलाई यूथ कांग्रेस के पदाधिकारियों की बैठक में पदाधिकारियों ने लापरवाही दिखाई तो दो जिलों के अध्यक्षों की छुट्टी कर उनकी पूरी कार्यकारिणी को ही भंग कर दिया गया। साफ-साफ संदेश भी दिया गया कि पार्टी हाईकमान के दिए टास्क में कोई लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सदस्यता अभियान में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने जनसंख्या के अनुपात में सबसे ज्यादा सदस्य बनाकर, देश में सबसे श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है और अब तय लक्ष्य 10 लाख से भी ज्यादा सदस्य बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
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दूसरी ओर बीजेपी भी मिशन 2023 के लिए हर मोर्चे पर रणनीति तैयार कर रही है। संगठन को मजबूत करने की बात हो या राज्य सरकार को घेरने की। बीजेपी आजीवन सहयोग निधि के जरिए लगभग 15 करोड़ जुटाना चाहती है। इसके लिए सभी वर्तमान और पूर्व सांसद विधायकों ने एक 1 महीने की पेंशन या सैलरी देने की बात कही है। इसके अलावा मोदी सरकार की योजनाएं, 15 साल में बीजेपी के कामकाज और वर्तमान कांग्रेस सरकार के कामकाज का तुलनात्मक आंकड़ों के साथ सोशल मीडिया में जानकारी देने के लिए कमल मितान बनाया जा रहा है, जिससे 2023 चुनाव में बीजेपी संगठन के अलावा सोशल मीडिया पर भी मजबूती से कांग्रेस सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ सके।
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प्रदेश में डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस अभी से जनाधार को बढ़ाने चुनावी रणनीतियों को धार देने में जुट गई है। दोनों ही दलों को लगता है की संगठन की कसावट पर साल 2022 में की हुई मेहनत 2023 में ज़रुर रंग लाएगी।